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भारत में मृत्यदंड के सवाल पर AI वकील का जवाब सुन प्रभावित हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़

भारत में मृत्यदंड के सवाल पर AI वकील का जवाब सुन प्रभावित हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़

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नई दिल्ली, 7 नवम्बर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार (NGMA) में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वकील के साथ बातचीत की। इस दौरान भारत में मृत्युदंड की संवैधानिकता को लेकर पूछे गए सवाल पर कृत्रिम वकील का जवाब सुनकर वह काफी प्रभावित हुए।

दरअसल, सीजेआई कई अन्य शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ संग्रहालय में टहल रहे थे, तभी उनकी मुलाकात एआई वकील से हुई। फिर उन्होंने इसकी क्षमता को परखने का मौका लिया और पूछा, ‘क्या भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है?’

अधिवक्ता की पोशाक पहने एआई वकील ने जवाब दिया, ‘हां, भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दुर्लभतम मामलों के लिए आरक्षित है, जहां अपराध असाधारण रूप से जघन्य है और ऐसी सजा की आवश्यकता है।’ इससे सीजेआई चंद्रचूड़ काफी प्रभावित हुए, जबकि उनके आस-पास के अन्य न्यायाधीश ताली बजाने लगे।

सीजेआई ने पहले भी एआई की क्षमताओं के बारे में बात की है, साथ ही ‘न्याय प्रदान करने’ में प्रौद्योगिकी के उपयोग की वकालत की है। इस साल की शुरुआत में चंद्रचूड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि एआई नवाचार की अगली सीमा का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें न्याय वितरण को गति देने और सुव्यवस्थित करने की परिवर्तनकारी क्षमता है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि एआई-संचालित उपकरणों का उपयोग करके, अदालतें प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकती हैं, कागजी काररवाई को कम कर सकती हैं और कानूनी विवादों के समाधान में तेजी ला सकती हैं। हालांकि, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अंधाधुंध इस्तेमाल और इससे पैदा होने वाली व्यवस्थागत चुनौतियों के बारे में भी चेतावनी दी थी।

राष्ट्र को समर्पित किया राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार

सीजेआई चंद्रचूड़ ने संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर कहा, ‘यह संग्रहालय हमारे राष्ट्र के जीवन में न्यायालय के महत्व को दर्शाता है। इसकी अवधारणा और योजना बनाने में करीब डेढ़ साल का समय लगा है। वास्तविक क्रियान्वयन में करीब छह महीने लगे हैं। यह रिकॉर्ड समय में किया गया है। हमने सोचा कि हमारे पास न केवल कलाकृतियों का संग्रहालय होना चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ संग्रहालय होना चाहिए, ताकि हमारे नागरिकों को न्याय प्रदान करने और हमारे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में हमारे संस्थान और उच्च न्यायालयों के महत्व को दर्शाया जा सके।’

उन्होंने कहा कि संग्रहालय के डिजाइनरों ने ही प्रधानमंत्री संग्रहालय और तीन मूर्ति भवन का भी डिजाइन तैयार किया था और उनके प्रयासों की प्रशंसा की। चंद्रचूड़ ने कहा, “इस संग्रहालय के निष्पादक पहले से ही समय से आगे थे। वे जानते थे कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं। उन्होंने तीन मूर्ति भवन में प्रधानमंत्री संग्रहालय का भी डिज़ाइन तैयार किया था, इसलिए उन्हें उच्चतम अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाला आधुनिक संग्रहालय बनाने का पूरा अनुभव था।’

10 नवम्बर को अवकाश ग्रहण करेंगे सीजेआई चंद्रचूड़

ज्ञातव्य है कि चंद्रचूड़ 10 नवम्बर को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उनके स्थान पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना देश के नए सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे।

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