1. Home
  2. हिंदी
  3. राष्ट्रीय
  4. भ्रष्टाचार के आरोप में ब्रिगेडियर सहित तीन सैन्य अफसरों के लखनऊ स्थित ठिकानों पर CBI का छापा   
भ्रष्टाचार के आरोप में ब्रिगेडियर सहित तीन सैन्य अफसरों के लखनऊ स्थित ठिकानों पर CBI का छापा   

भ्रष्टाचार के आरोप में ब्रिगेडियर सहित तीन सैन्य अफसरों के लखनऊ स्थित ठिकानों पर CBI का छापा   

0
Social Share

लखनऊ, 3 सितम्बर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बिग्रेडियर नवीन सिंह, कर्नल दुष्यंत सिंह और लेफ्टिनेंट कर्नल आरपी राम के अलावा मोबाइल टॉवर लगाने वाली कम्पनी मेसर्स इंडस टॉवर्स लिमिटेड के लखनऊ स्थित ठिकानों पर रविवार को छापा मारा। छापों में बरामद दस्तावेजों का सीबीआई टीम परीक्षण कर रही है। तीनों सैन्य अफसरों पर कानपुर कैंट में तैनाती के दौरान कम्पनी को अनुचित लाभ पहुंचा कर भ्रष्टाचार में संलिप्तता का आरोप है।

तीनों सैन्य अफसरों की कानपुर कैंट में तैनाती के दौरान का है मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने बिग्रेडियर नवीन सिंह, कर्नल दुष्यंत सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल आरपी राम और मेसर्स इंडस टॉवर्स लिमिटेड लखनऊ के विरुद्ध एक सितम्बर को आईपीसी की धारा 420, 120 बी तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 की धारा 13(2), 13 (1)(डी) तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून (2018 में संशोधित) की धारा 7 (ए) के तहत एफआईआर दर्ज किया। इसकी विवेचना इंस्पेक्टर आशीष कुमार सिंह को सौंपी गई है।

मोबाइल टॉवर लगाने वाली कम्पनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप

यह प्रकरण तीनों अफसरों की कानपुर कैंट में तैनाती के दौरान का है। पहले अभियुक्त बिग्रेडियर नवीन सिंह स्टेशन कमांडर के तौर पर कानपुर कैंट बोर्ड के पदेन अध्यक्ष थे जबकि दूसरे अभियुक्त लेफ्टिनेंट कर्नल आरपी राम उनके स्टाफ आफिसर थे। तीसरे अभियुक्त कर्नल दुष्यंत सिंह कानपुर नगर के स्टेशन हेड क्वार्टर में तैनात थे। आरोपित कम्पनी का मुख्यालय लखनऊ में विभूति खंड गोमती नगर स्थित बीबीडी विराज टॉवर में छठे तल पर है।

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि ब्रिगेडियर नवीन सिंह ने कैंट बोर्ड के पदेन अध्यक्ष रहते हुए निर्धारित दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन करते हुए कानपुर के ए-1 श्रेणी की छावनी क्षेत्र की भूमि में सात सचल मोबाइल टावर्स (सीओडब्ल्यू) की स्थापना की सुविधा प्रदान की। नियमानुसार सेना की भूमि के पट्टे के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से टेंडर आमंत्रित किया जाना आवश्यक था। साथ ही टेंडर के माध्यम से प्राप्त उच्चतम बोली को ही स्टेशन कमांडर द्वारा स्वीकार किया जाना था।

आरोप है कि ब्रिगेडियर नवीन सिंह ने स्थान तय करने के लिए किसी बोर्ड का गठन नहीं किया था, ताकि मोबाइल कम्पनी को सुविधा मिल सके। इससे सरकारी खजाने से हेराफेरी किए जाने का संदेह पैदा होता है। इन आरोपों को सत्यापित करने के लिए 30 अगस्त, 2019 को सीबीआई एसीबी लखनऊ द्वारा मध्य कमान लखनऊ के अधिकारियों के साथ कानपुर कैंट बोर्ड क्षेत्र में एक संयुक्त औचक निरीक्षण भी किया गया था। इस जांच के दौरान संदेह और गहरा हो गया। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि एयरटेल और रिलायंस जियो इन्फोकॉम द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया गया और झूठी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code