मिल्कीपुर उपचुनाव : भाजपा ने चंद्रभान पासवान को घोषित किया उम्मीदवार, सपा के अजीत प्रसाद से होगी टक्कर
लखनऊ, 14 जनवरी। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर प्रस्तावित उपचुनाव के लिए चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। उनका मुख्य मुकाबला अयोध्या के सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद से होगा।
भाजपा और सपा दोनों के लिए मिल्कीपुर सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। अवधेश प्रसाद की तरह चंद्रभान पासवान भी पासी समाज से आते हैं। चंद्रभान रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रहे हैं। मौजूदा समय उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। मिल्कीपुर में 17 जनवरी से नामांकन शुरू होगा। पांच फरवरी को वोटिंग होगी और आठ फरवरी को परिणाम घोषित किया जाएगा।
मिल्कीपुर विधानसभा उप-चुनाव 2025 के लिए श्री चंद्रभान पासवान को प्रत्याशी बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। pic.twitter.com/ByItu7AVAl
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) January 14, 2025
मुख्य रूप से साड़ी के कारोबार में सक्रिय है चंद्रभान का परिवार
चंद्रभान का परिवार मुख्य रूप से सूरत का व्यवसाई परिवार है और साड़ी के व्यापार में सक्रिय हैं। वह रुदौली में भी साड़ी का कारोबार करते हैं और पिछले दो वर्षों से मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सक्रिय रहे हैं। इससे पहले 2022 के चुनाव में भाजपा ने गोरखनाथ को यहां से उतारा था। इस बार भी गोरखनाथ समेत आधा दर्जन नेता प्रत्याशी बनने की दौड़ में शामिल थे।
सपा नेता अवधेश प्रसाद के अयोध्या सांसद बनने से खाली हुई मिल्कीपुर सीट
लोकसभा चुनाव अयोध्या सीट सपा के हाथों हारने के बाद से भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। मिल्कीपुर से सपा विधायक रहे अवधेश प्रसाद के ही अयोध्या से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद की जीत ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था। यही कारण है कि सपा ने अवधेश प्रसाद को पीडीए का आईकन पेश करने की पूरी कोशिश की। लोकसभा में भी अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव अपने साथ सबसे आगे बैठाते भी रहे हैं।
भाजपा के सामने ये हैं चुनौतियां
कुल मिलाकर देखें तो अयोध्या में चौतरफा विकास के बाद भी लोकसभा सीट हारने से भाजपा के लिए यह सीट अहम हो गई है। मिल्कीपुर उपचुनाव जीतकर वह एक तरफ अयोध्या लोकसभा सीट हार का बदला लेना चाहेगी वहीं दूसरी तरफ यह बताने की कोशिश होगी कि सपा को लोकसभा चुनाव में मिली जीत केवल एक तुक्का थी। लोगों को संविधान के नाम पर बहकाकर सपा ने लोकसभा चुनाव में यूपी की सीटें जीती थीं।
यह सीट भाजपा के लिए कितनी अहम है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि खुद सीएम योगी ने यहां की बागडोर अपने हाथों में ले रखी है। लगातार वह यहां के दौरे भी कर रहे हैं। हालांकि भाजपा के लिए यहां जीत हासिल करना इतना आसान भी नहीं है। इस सीट पर भाजपा लगातार हारती रही है। यहां तक कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर के बाद भी यहां भाजपा हार गई थी।