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भाजपा ने दिल्ली में ‘क्लीन स्वीप’ की हैट-ट्रिक पूरी की, मनोज तिवारी को छोड़ अन्य 6 नए प्रत्याशियों का दांव भी सही बैठा

भाजपा ने दिल्ली में ‘क्लीन स्वीप’ की हैट-ट्रिक पूरी की, मनोज तिवारी को छोड़ अन्य 6 नए प्रत्याशियों का दांव भी सही बैठा

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नई दिल्ली, 5 जून। लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता संभालने को तैयार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव में 2014 व 2019 के विपरीत अकेले दम बहुमत हासिल करने में विफल रही। लेकिन इस दौरान कुछ राज्य ऐसे भी रहे, जहां भाजपा क्लीन स्वीप हासिल करने में सफल रही।

दिल्ली की सभी 7 सीटों के चुनाव परिणाम पर एक नजर

मसलन, मध्य प्रदेश (29), दिल्ली (7), उत्तारखंड (5) व हिमाचल प्रदेश (4) में पार्टी ने सभी सीटें जीतीं तो गुजरात की 26 में 25 और छत्तीसगढ़ की 11 में 10 सीटों पर उसका कब्जा हुआ। इनमें दिल्ली की सफलता तो सर्वाधिक उल्लेखनीय रही, जहां सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के शोरगुल के बावजूद भाजपा ने क्लीन स्वीप की हैट-ट्रिक ही जमा दी। यानी यह लगातार तीसरा मौका था, जब राष्ट्रीय राजधानी की सभी सातों सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीते। उनके मुकाबले AAP के चार और कांग्रेस के तीन उम्मीदवैर मैदान में थे, जिन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

‘आप’  व कांग्रेस का तालमेल भी भाजपा को नहीं रोक सका

गौर करने वाली बात तो यह रही कि सिर्फ उत्तर पूर्वी दिल्ली को छोड़ अन्य सभी छह सीटों पर भाजपा ने नए उम्मीदवार उतारे, लेकिन पार्टी का यह दांव भी निशाने पर बैठा। उत्तर पूर्वी दिल्ली में लोकप्रिय भोजपुरी गायक व अभिनेता से नेता बने मनोज तिवारी को लगातार तीसरी बार टिकट दिया गया था और वह भी नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए हैट-ट्रिक जमाने में सफल रहे। पार्टी के विजयी प्रत्याशियों में उनके अलावा दो पूर्व महापौर व एक पूर्व विदेश मंत्री की बेटी शामिल भी हैं।

विजेताओं में दो पूर्व महापौर और पूर्व विदेश मंत्री की बेटी भी शामिल

भाजपा के विजयी प्रत्याशियों की बात करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के स्थान पर मैदान में उतरे प्रवीण खंडेलवाल ने चांदनी चौक सीट से 89,325 मतों के अंतर से जीत हासिल की। वैश्य समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले खंडेलवाल अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ के महासचिव हैं। उन्होंने वर्ष 2008 में चुनावी राजनीति में कदम रखा था और चांदनी चौक से दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे।

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दक्षिण दिल्ली सीट पर 1.24 लाख मतों से जीत हासिल की।​​ दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दक्षिण दिल्ली सीट पर रमेश बिधूड़ी की जगह ली है। गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बिधूड़ी ने राजनीति में 50 साल से अधिक समय बिताया है। वह 1993 में पुनर्गठित दिल्ली विधानसभा के लिए चुने गए जनता दल के पांच विधायकों में से एक थे।

नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से बांसुरी स्वराज ने 78,370 मतों से जीत हासिल की। उन्हें निवर्तमान सांसद मीनाक्षी लेखी की जगह उतारा गया था। ​​बांसुरी पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल एवं वकील स्वराज कौशल की बेटी हैं। उच्चतम न्यायालय में वकालत कर रहीं बांसुरी को 2023 में दिल्ली में भाजपा के कानूनी प्रकोष्ठ का सह-संयोजक नियुक्त किया गया था।

क्रिकेट से राजनीति में आए गौतम गंभीर की जगह पूर्वी दिल्ली से भाजपा के उम्मीदवार हर्षदीप मल्होत्रा ​​ने 93,663 वोट से जीत हासिल की। वह पहली बार 2012 में वेलकम कॉलोनी से पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पार्षद बने थे। वर्ष 2015-16 में महापौर का पद संभालने से पहले उन्हें नगर निगम की शिक्षा समिति का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।

योगेंद्र चंदोलिया उत्तर पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से 2.90 लाख वोट से जीते हैं और उनकी विजय का अंतर इस चुनाव में राष्ट्रीय राजधानी में सभी विजयी उम्मीदवारों में सर्वाधिक है। वह पूर्ववर्ती उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर रहे हैं। वह दिल्ली में भाजपा के लिए अनुसूचित जाति समुदाय का प्रमुख चेहरा रहे हैं।

हंसराज हंस की जगह मैदान में उतरे चंदोलिया ने कहा, ‘मैंने पहले दिन से ही कहा था कि भाजपा दिल्ली की सभी सात सीट पर जीत हासिल करेगी। मैंने यह भी कहा था कि सबसे बड़ा अंतर उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट पर होगा।’ मल्होत्रा ​​और चंदोलिया दोनों ही भाजपा की दिल्ली इकाई के महासचिव हैं।

पूर्वांचल से आने वाले मनोज तिवारी राजनीति से पहले भोजपुरी फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेता और गायक रहे हैं। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2009 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर गोरखपुर से लड़ा था, लेकिन भाजपा के योगी आदित्यनाथ से हार गए थे। उन्होंने 2014 के चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली से अपनी पहली जीत दर्ज की। वर्ष 2019 के चुनाव में तिवारी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित को हराकर लोकसभा में दूसरा कार्यकाल हासिल किया। इस बार, तिवारी ने कांग्रेस के कन्हैया कुमार को 1.38 लाख मतों से हराया है।

पश्चिम दिल्ली से प्रवेश वर्मा की जगह मैदान में उतरीं कमलजीत सेहरावत द्वारका से दो बार निगम पार्षद रही हैं। वह लगभग दो दशक से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने अपना पहला पार्षद चुनाव पूर्ववर्ती दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के द्वारका-बी वार्ड से लड़ा था और सबसे अधिक अंतर से जीतीं। इस लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर 1.99 लाख वोट का है।

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