खराब मौसम से चार धाम यात्रा में बाधा पड़ने का खतरा, मौसम विभाग ने आंधी-तूफान की जारी की चेतावनी
देहरादून, 11 मई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हिन्दू धर्म के पवित्र तीर्थस्थल चार धाम यात्रा मार्ग पर अगले कुछ दिनों तक आंधी और बारिश की भविष्यवाणी की है। तीर्थयात्रा अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर शुक्रवार को केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई थी।
यात्रा शुरू होते ही बिगड़ गया मौसम
केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर सुबह सात बजे खुले, जबकि गंगोत्री में दोपहर 12.25 बजे तीर्थयात्रियों का स्वागत किया गया। हालांकि यात्रा शुरू होते ही मौसम बिगड़ गया। शनिवार को अलग-अलग स्थानों पर 50-60 किमी प्रति घंटे और 70 किमी प्रति घंटे की गति तक बिजली, ओलावृष्टि और तूफान के साथ आंधी चली।
रविवार और सोमवार को बारिश या बिजली गिरने की संभावना
आईएमडी के अनुसार रविवार (12 मई) को भी आसमान में आमतौर पर बादल छाए रहने और बारिश, आंधी या धूल भरी आंधी चलने की संभावना है। साथ ही अलग-अलग स्थानों पर गरज के साथ बिजली, ओलावृष्टि और आंधी की संभावना जताई गई है। 13 मई को आईएमडी ने अलग-अलग स्थानों पर बिजली गिरने के साथ तूफान की भविष्यवाणी की है, जिसमें आंधी या ओलावृष्टि भी शामिल हो सकती है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट शीतकाल के दौरान छह माह बंद रहने के बाद शुक्रवार को अक्षय तृतीया के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए खुलने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का आरंभ हुई।
अब तक 22 लाख से ज्यादा श्रद्धालु करा चुके हैं पंजीकरण
फिलहाल यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है और गुरुवार अपराह्न चार बजे तक चार धामों के लिए 22 लाख से अधिक श्रद्धालु अपना पंजीकरण करा चुके थे। चारधाम यात्रा पंजीकरण बुलेटिन के अनुसार, वेब पोर्टल, मोबाइल एप और व्हाटसएप के माध्यम से अब तक पंजीकरण की संख्या 22,28,928 पहुंच चुकी है।
स्थानीय जनता के रोजगार और आजीविका का साधन चारधाम यात्रा
हर साल गर्मियों में होने वाली चारधाम यात्रा के शुरू होने का स्थानीय जनता को भी इंतजार रहता है। छह माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जनता के रोजगार और आजीविका का साधन हैं और इसीलिए चारधाम यात्रा को गढवाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है। चारों धामों के सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण उनके कपाट हर साल अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में फिर खोल दिए जाते हैं।