आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताई ऑपरेशन सिंदूर की पूरी प्लानिंग – ‘पाक के साथ हमने शतरंज खेला’
चेन्नई, 10 अगस्त। थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर पर पहली बार बयान दिया। उन्होंने आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ के दौरान इस पर बात की।
जनरल द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर – आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय’ पर संकाय और छात्रों को संबोधित किया और इसे एक सैद्धांतिक बदलाव को दर्शाते हुए एक सुनियोजित, खुफिया-आधारित अभियान बताया। उन्होंने भारत की सक्रिय सुरक्षा स्थिति को सुदृढ़ करने में स्वदेशी तकनीक और सटीक सैन्य काररवाई की भूमिका को रेखांकित किया और अकादमिक उत्कृष्टता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए आईआईटी संकाय की भी सराहना की।
अपने संबोधन के दौरान जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर में, हमने पाकिस्तान से शतरंज खेला। हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे ग्रे जोन कहते हैं। ग्रे जोन का मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। हम जो कर रहे हैं, वह पारंपरिक ऑपरेशन से थोड़ा कम है। हम शतरंज की चालें चल रहे थे, और वह (दुश्मन) भी शतरंज की चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे तो कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी हार मान रहे थे, लेकिन यही तो जिंदगी है।
जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले – ‘बस, बहुत हो गया’
ऑपरेशन का उल्लेख करते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ’22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अगले ही दिन, 23 तारीख को, हम सब बैठ गए। यह पहली बार था, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा -बस, बहुत हो गया। तीनों सेना प्रमुख इस बात पर बिल्कुल स्पष्ट थे कि कुछ तो करना ही होगा।’
उन्होंने कहा, “खुली छूट दी गई थी, ‘आप तय करें कि क्या करना है।’ इस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और राजनीतिक स्पष्टता हमने पहली बार देखी। यही आपका मनोबल बढ़ाता है। इसी तरह इसने हमारे सेना कमांडरों को जमीन पर रहने और अपनी बुद्धि के अनुसार कार्य करने में मदद की।”
जनरल द्विवेदी ने कहा, ’25 तारीख को, हमने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां हमने सोचा, योजना बनाई, अवधारणा बनाई और नष्ट किए गए नौ में से सात लक्ष्यों को अंजाम दिया, और बहुत सारे आतंकवादी मारे गए। 29 अप्रैल को, हम पहली बार प्रधानमंत्री से मिले। यह महत्वपूर्ण है कि कैसे एक छोटा सा नाम ऑपरेशन सिंदूर पूरे देश को जोड़ता है। यह कुछ ऐसा ह जिसने पूरे देश को प्रेरित किया। यही कारण है कि पूरा देश कह रहा था कि आपने इसे क्यों रोक दिया? यह सवाल पूछा जा रहा था और इसका पर्याप्त उत्तर दिया गया है।”
