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हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर चीनी चुनौती का सामना करेंगे अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया

हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर चीनी चुनौती का सामना करेंगे अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया

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नई दिल्ली, 29 जुलाई। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस और कोरिया के साथ आगे सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है।

ऑस्ट्रेलिया-यूएस मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान बनी सहमति

ब्रिस्बन में शनिवार को 33वीं ऑस्ट्रेलिया-यूएस मंत्रिस्तरीय बैठक (AUSMIN) के दौरान दोनों देशों ने इस बाबत सहमति व्यक्त की। इस बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा सचिव लॉयड जे. ऑस्टिन और राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन ने किया। वहीं ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल में उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स और विदेश मामलों व व्यापार मंत्री पेनी वोंग शामिल थे।

हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ी चिंता चीन

दरअसल, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया इस तथ्य को जानते हैं कि हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ी चिंता चीन है। दोनों ही देश ये भी जानते हैं कि इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की अहम भूमिका है। भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही क्वाड का हिस्सा हैं। ऐसे में रक्षा क्षेत्र में तालमेल बनाना भी कोई मुश्किल काम नहीं होगा।

बैठक के दौरान दोनों देशों में के बीच इस आशय की भी सहमति बनी कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की सेनाओं के साथ कई अभ्यासों के माध्यम से तालमेल बढ़ाया जाएगा। अमेरिकी रक्षा विभाग की ओर से जारी एक फैक्ट शीट के अनुसार पहली बार एक्सरसाइज टैलिसमैन सेबर 2023 में फिजी, इंडोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी और टोंगा की भागीदारी होगी। उद्घाटन पर्यवेक्षक के रूप में भारत, सिंगापुर, थाईलैंड और फिलीपींस शामिल रहेंगे।

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच पहले से ही एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता लागू है। अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की द्विपक्षीय बैठक में भी इस बात पर सहमति बनी कि अमेरिका पारंपरिक रूप से सशस्त्र और परमाणु-संचालित पनडुब्बी के विकास में ऑस्ट्रेलिया की मदद करेगा।

ऑस्ट्रेलिया शुरू में संयुक्त राज्य अमेरिका से तीन वर्जीनिया श्रेणी की परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियां (सामान्य नौसैनिक संक्षिप्त नाम एसएसएन) खरीदेगा। ये अमेरिकी नौसेना (यूएसएन) की सेकेंड-हैंड सबमरीन होने की संभावना है, साथ ही एसएसएन-एयूकेयूएस सबमरीन की एक नई श्रेणी बनाने की योजना में देरी होने पर दो और वर्जीनिया श्रेणी की पनडुब्बियों को प्राप्त करने का विकल्प भी मौजूद है।

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