मेनका-राहुल के बाद प्रियंका गांधी ने भी आवारा कुत्तों के लिए उठाई आवाज, बोलीं – ‘कुत्ते सबसे सुंदर और कोमल प्राणी…’
नई दिल्ली, 12 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया और दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को आवारा कुत्तों को हटाकर डॉग शेल्टर में भेजने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने साथ ही यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने से अधिकारियों को रोकता है तो उसे कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। वहीं इसको लेकर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहमत नहीं है। वहीं अब कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी इसको लेकर टिप्पणी की है।
प्रियंका गांधी ने X पर एक पोस्ट में कहा, ‘शहर के सभी आवारा कुत्तों को कुछ ही हफ़्तों में आश्रय गृहों में भेजने का नतीजा उनके साथ बेहद अमानवीय व्यवहार होगा। उन्हें रखने के लिए पर्याप्त आश्रय गृह भी मौजूद नहीं हैं। शहरी परिवेश में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और क्रूरता होती है। निश्चित रूप से इस स्थिति से निबटने का एक बेहतर तरीका है और एक मानवीय तरीका खोजा जा सकता है, जिससे इन मासूम जानवरों की देखभाल की जा सके और उन्हें सुरक्षित भी रखा जा सके। कुत्ते सबसे सुंदर और कोमल प्राणी होते हैं, वे इस तरह की क्रूरता के लायक नहीं हैं।’
The moving of all the city’s stray dogs to shelters within a matter of weeks is going to result in horrendously inhumane treatment of them. Enough shelters do not even exist to take them on.
As it is animals in urban surroundings are subjected to ill treatment and brutality.…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 12, 2025
इस फैसले में तार्किक सोच का अभाव – मेनका गांधी
इसके पहले पूर्व सांसद व एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी ने भी इसको लेकर असहमति जताई थी। मेनका गांधी ने कहा, ‘यह फैसला स्वतः संज्ञान से लिया गया है, यानी किसी ने शिकायत नहीं की। जज ने खुद ही इस पर विचार किया। हमें तो पहले से ही ऐसी ही उम्मीद थी। अब यदि इस आदेश का पालन किया जाता है, तो दिल्ली में तीन लाख कुत्तों को पकड़कर केंद्रों में रखना होगा। दिल्ली सरकार को 1,000-2,000 केंद्र बनाने होंगे क्योंकि बहुत सारे कुत्ते आपस में लड़ेंगे। उन्हें पहले जमीन चाहिए होगी, फिर आठ हफ्तों के भीतर कम से कम 4-5 करोड़ रुपये की लागत से सुविधाएं बनानी होंगी, जिनमें देखभाल करने वाले, खाना खिलाने वाले और भागने से रोकने के लिए चौकीदार भी होंगे। इस फैसले में तार्किक सोच का अभाव है और यह गुस्से से उपजा है। हैरानी की बात यह है कि यह आदेश एक अखबार में छपी खबर पर आधारित है जिसमें कुत्तों द्वारा एक बच्चे को मारे जाने की बात कही गई है जबकि परिवार ने पुष्टि की है कि बच्चे की मौत मेनिन्जाइटिस से हुई थी।’
राहुल बोले – ये बेजुबान आत्माएं कोई समस्या नहीं
वहीं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान-समर्थित नीति से एक कदम पीछे है। ये बेजुबान आत्माएं कोई समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटाया जा सके। आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रख सकते हैं। यह हमारी करुणा को खत्म करता है। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ चलें।’
सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि यदि आवारा कुत्तों को उठाना जरूरी हुआ, तो अधिकारी बल प्रयोग भी कर सकते हैं। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने एमसीडी और एनडीएमसी के अधिकारियों से कहा कि वे तत्काल कार्रवाई करें। नए शेल्टर का निर्माण करें और आठ हफ्ते के अंदर कोर्ट को रिपोर्ट दें। कोर्ट ने कहा कि शेल्टर में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए कर्मचारी होने चाहिए, जिन्हें सार्वजनिक जगहों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इन केंद्रों की सीसीटीवी से निगरानी की जानी चाहिए।
