राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाली को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सांसदी बहाली वाली अधिसूचना रद करने की मांग
नई दिल्ली, 5 सितम्बर। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। अधिवक्ता अशोक पांडेय ने एक याचिका दाखिल कर सर्वोच्च न्यायलय से लोकसभा सचिवालय की सांसदी बहाली वाली अधिसूचना रद करने की मांग की है।
अपनी याचिका में वकील अशोक पांडेय ने कहा है कि ‘एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत कानून के संचालन से अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य ठहराया जाएगा, जब तक कि किसी बड़ी अदालत द्वारा आरोपों से बरी न कर दिया जाए।’ याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि चुनाव आयोग को वायनाड सीट पर फिर से चुनाव कराने का निर्देश देना चाहिए।
गौरतलब है कि मोदी सरनेम मामले में गुजरात की निचली अदालत ने राहुल गांधी को दो वर्ष जेल की सजा सुनाई थी। उस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल की संसद सदस्यता रद कर थी। राहुल ने राहत के लिए गुजरात हाई कोर्ट में गुहार लगाई, लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली। फिर कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
दोषसिद्धि पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद बहाल हुई थी राहुल की संसद सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी, लेकिन उनको आरोपों से बरी नहीं किया था। दोषसिद्धि पर रोक के बाद राहुल की संसद सदस्यता बहाल हो गई और उन्होंने संसद के मानसून सत्र में हिस्सा भी लिया था। राहुल की सजा पर रोक को कांग्रेस ने लोकतंत्र की जीत और भाजपा के मंसूबों की हार बताया था।
लखनऊ के रहने वाले हैं याचिका दाखिल करने वाले वकील अशोक पांडेय
फिलहाल अब एक बार फिर राहुल की संसद सदस्यता को लेकर दायर की याचिका के बाद यह मामला गर्माने की उम्मीद है। याचिका दाखिल करने वाले वकील अशोक पांडेय लखनऊ के रहने वाले हैं। याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि सीआरपीसी की धारा 389 केवल अदालत को दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील सुनने की अनुमति देती है ताकि सजा को निलंबित किया जा सके और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जा सके। लेकिन, यह अदालत को दोषसिद्धि को निलंबित करने की अनुमति नहीं देती है।