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विकास दुबे कांड में 3 वर्ष बाद आया फैसला – फाइनेंसर जय बाजपेई सहित 23 आरोपितों को सजा, 7 दोषमुक्त

विकास दुबे कांड में 3 वर्ष बाद आया फैसला – फाइनेंसर जय बाजपेई सहित 23 आरोपितों को सजा, 7 दोषमुक्त

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कानपुर, 5 सितम्बर। उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में सनसनी फैला देने वाले कानपुर के विकास दुबे कांड में तीन वर्ष बाद पहला फैसला आ गया है। ADJ-5 दुर्गेश जी के गैंगस्टर कोर्ट ने विकास दुबे के फाइनेंसर जय बाजपेयी समेत 23 आरोपितों को गैंगस्टर मामले में दोषी करार देते हुए दस-दस वर्ष की सजा सुनाई है। पुलिस की तरफ से 30 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। सात लोगों साक्ष्य नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने रिहा कर दिया है।

स्मरण रहे कि कानपुर जिले के बिकरू गांव में दो जुलाई, 2020 को विकास दुबे के गैंग पर दबिश देने गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी। इसमें मौके पर ही आठ पुलिस वालों की जान चली गई थी। कई पुलिस वाले घायल हुए थे। सनसनीखेज वारदात के बाद हड़कंप मच गया था।

गिरफ्तारी के बाद एनकाउंटर में मारा गया था विकास दुबे

उस घटना के बाद विकास दुबे गैंग पर पुलिस कहर बनकर टूटी थी। कई लोगों को मार गिराया गया था। विकास दुबे उज्जैन भाग गया था। उसे महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था। यूपी लाते समय उसकी गाड़ी पलटी और एनकाउंटर में उसे भी मार गिराया गया था। मामले में पुलिस ने 30 आरोपितों पर गैंगस्टर की काररवाई की थी। इसकी सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पंचम में चल रही है।

इन आरोपितों को 10-10 वर्ष की सजा

अदालत ने कुल 23 आरोपितों को सजा सुनाई है। इनमें बिकरू गांव का हीरू दुबे, श्यामू बाजपेई, जहान यादव, दयाशंकर अग्निहोत्री, बबलू मुसलमान, रामू बाजपेयी, शशिकांत पांडेय, शिवम दुबे, गोविंद सैनी, उमाकांत, शिवम दुबे उर्फ दलाल, शिव तिवारी, जिलेदार, राम सिंह यादव, जय बाजपेई, धीरेंद्र कुमार, मनीष, सुरेश, गोपाल, वीर सिंह, राहुल पाल, अखिलेश उर्फ श्यामजी, छोटू शुक्ला शामिल है। सभी आरोपित पहले से ही जेल में हैं। गुडडन, प्रशांत, सुशील कुमार, बालगोविंद, राजेंद्र मिश्र, रमेशचंद्र व संजय को दोष मुक्त कर दिया गया है।

बिकरू गांव में 2 जुलाई, 2020 की रात हुई थी सनसनीखेज वारदात

चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 की रात को सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा ने सर्किल फोर्स के साथ गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी थी। छापेमारी की सूचना लीक होने के चलते गैंगस्टर ने पहले ही अपने शूटरों के साथ जाल बिछा दिया था। पुलिस के गांव में एंट्री करते ही छतों पर मौजूद विकास दुबे और शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। बाकी पुलिसकर्मियों ने भाग कर अपनी जान बचाई थी।

विकास दुबे गैंग ने सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी थी

उस हत्याकांड ने पूरे देश को हिला दिया था। डीजीपी से लेकर कानपुर में तैनात एसएसपी दिनेश कुमार और आईजी मोहित अग्रवाल एक्शन में आए। विकास दुबे के गैंग के एक के बाद एक छह बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया गया। 45 आरोपितों को जेल भेजा गया।

विकास गैंग की अब तक 72 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है

विकास दुबे और उसके गैंग के सदस्यों, सहयोगियों सहित 91 लोगों के खिलाफ 79 मुकदमें दर्ज किए गए। विकास दुबे और उसके गैंग की अब तक 72 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त हो चुकी है। इसके साथ ही सात पर NSA और 45 पर गैंगस्टर की काररवाई की गई है।

विकास से संबंधित महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया

बिकरू कांड के बाद गैंग से जुड़े पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया था। इस कांड से तीन दिन पहले ही 29 जून को खुशी दुबे की विकास दुबे के भतीजे अमर से शादी हुई थी। 30 जून को विदाई हुई थी। अभी खुशी के हाथ की मेहंदी का रंग भी नहीं उतर पाया था कि बिकरू कांड हो गया और खुशी को भी अरेस्ट करके जेल भेज दिया गया था।

महीनों जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट से खुशी को जमानत मिली थी। खुशी दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित ने एसआईटी पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि खुशी के खिलाफ गलत तरीके से सिम इस्तेमाल मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। तीन वर्ष के दौरान इस केस में सिर्फ 4 गवाहों का एग्जामिनेशन हुआ।

तत्कालीन एसएसपी अनंत देव बहाल, 37 पुलिस वालों पर एक्शन

बिकरू कांड में कानपुर के एसएसपी रहे आईपीएस अनंत देव पर भी विभागीय काररवाई हुई थी। तीन साल की जांच झेलने के बाद अनंत देव तिवारी को विभागीय क्लीनचिट मिल गई। लापरवाही बरतने के दोषी पाए गए 37 पुलिसवालों पर भी विभागीय एक्शन हुआ। इनमें 6 पुलिस वाले तो तीन साल तक उस वेतन पर काम करेंगे, जो उन्हें नौकरी की शुरुआत में मिलता था।

दो पुलिसकर्मियों – एसओ विनय तिवारी और बीट चौकी इंचार्ज केके शर्मा को नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है। एसओ विनय तिवारी और दरोगा ने दबिश की मुखबिरी की थी। इसके बाद ही विकास दुबे ने प्लानिंग से पुलिस पर हमला किया था।

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