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यूपी विधानसभा : सीएम योगी ने 43 वर्ष पुराने मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सदन में रखी

यूपी विधानसभा : सीएम योगी ने 43 वर्ष पुराने मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सदन में रखी

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लखनऊ, 8 अगस्त। उत्तर प्रदेश विधानसबा में संक्षिप्त मॉनसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के तल्ख तेवरों के बीच मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट 43 वर्षों बाद सदन में पेश कर दी।

14 बार किसी न किसी कारण से फाइल दबा दी गई

गौरतलब है कि मुरादाबाद में 1980 में हुए दंगों की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति एमपी सक्सेना ने 496 पेज की रिपोर्ट 29 नवम्बर, 1983 को सरकार को सौंपी थी। कई बार इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा गया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। 14 बार किसी न किसी कारण से फाइल दबा दी गई। ऐसा भी मौका आया, जब संबंधित पत्रावली से जांच रिपोर्ट अलग हो गई। रिपोर्ट की प्रति के लिए मुरादाबाद के जिलाधिकारी और एसएसपी से अनेकों प्रयास किए गए। इसके बाद सीएम योगी की सख्ती के बाद इसे खोजकर कैबिनेट में लाया गया और वहां से मंजूरी के बाद आज विधानसभा में पेश कर दिया गया।

13 अगस्त, 1980 को ईद की नमाज के बाद भड़के दंगे में 83 लोग मारे गए थे

मुरादाबाद में 13 अगस्त,1980 की सुबह ईद की नमाज के दौरान दंगे भड़क गए थे। इसमें 83 लोग मारे गए और 112 व्यक्ति घायल हुए थे। उस वक्त 70 हजार नमाजी ईद-उल-फितर की नमाज पढ़ने पहुंचे थे। ईदगाह के पास कुछ सुअरों के आने के बाद विरोध शुरू हुआ था और पुलिस व अधिकारियों पर हमले शुरू कर दिए गए थे। हिन्दुओं के मकानों पर भी पथराव हुए थे। इसी के बाद पुलिस ने पहले लाठी, फिर आंसू गैस और फिर गोलियां चलाईं। हिन्दू भी भड़क गए थे और दंगा ने खौफनाक रूप ले लिया था।

दंगो में पुलिस, हिन्दुओं और आम मुसलमान का कोई हाथ नहीं था

रिपोर्ट में कहा गया कि दंगो में पुलिस, हिन्दुओं और आम मुसलमान का कोई हाथ नहीं था। इसमें संघ और भाजपा भी नहीं थी। यह पूर्व नियोजित दंगा था। मुस्लिम लीग व कुछ संगठन इसके लिए जिम्मेदार थे। रिपोर्ट में आयोग ने दंगे रोकने के लिए कई सुझाव दिए हैं। खास तौर यह कहा गया कि मुसलमानों को वोट बैंक समझने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

मुस्लिम लीग के दो नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते हुआ था दंगा

रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम लीग के दो नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दंगा हुआ था। मुस्लिम समुदाय में नेताओं को लेकर चल रही खींचतान के चलते दंगा हुआ था। डॉक्टर शमीम अहमद के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और डॉक्टर हामिद हुसैन उर्फ डॉक्टर अज्जी के नेतृत्व वाले खाकसारो तथा उनके समर्थकों और भाड़े के व्यक्तियों की ने सभी कारगुजारियां की थीं। यह पूरा दंगा पूर्व नियोजित तथा उनके दिमाग की उपज थी।

नमाजियों के बीच में सूअर धकेल दिए गए कि अफवाह फैलने के बाद क्रोधित मुसलमानों ने थाने पुलिस चौकी और हिंदुओं पर हमला किया था। हिन्दुओं ने भी बदला लिया जिसके बाद दंगा भड़का था। भगदड़ में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अधिक संख्या में मारे गए थे।

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