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ओडिशा के शिव मंदिरों में गांजे के इस्तेमाल पर लगा प्रतिबंध, सरकार ने दिया यह तर्क

ओडिशा के शिव मंदिरों में गांजे के इस्तेमाल पर लगा प्रतिबंध, सरकार ने दिया यह तर्क

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भुवनेश्वर, 24 मई। ओडिशा सरकार ने राज्य के शिव मंदिरों में गांजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। उड़िया भाषा, साहित्य एवं संस्कृति विभाग की ओर से सभी जिलों और पुलिस को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया गया है। निर्देश में कहा गया है कि राज्य के किसी भी शिव मंदिर में गांजा या गांजे का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

राज्य सरकार के इस फैसले से भोले बाबा के भक्त नाखुश

राज्य सरकार इस नियम को सख्ती से लागू करने के लिए तत्पर है। हालांकि, सरकार के इस फैसले से राज्य की जनता खुश नहीं है और इसका विरोध भी शुरू हो गया है। राज्य की जनता खुले तौर पर इसका विरोध न कर रही हो, लेकिन भक्त इस फैसले से खुश नहीं है।

फैसले का विरोध करते हुए कांग्रेस विधायक सुरेश राउत्रय ने कहा कि भगवान नारायण को भांग चढ़ाया जाता है जबकि गांजा भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। यह भोग हैं और इन्हें प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए।

क्या कहा राज्य सरकार के मंत्री ने?

ओडिशा के संस्कृति मंत्री अश्विनी पात्रा ने कहा कि जिस तरह खुर्दा के बानापुर में भगवती मंदिर में पशु बलि की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और बाद में इसे अधिकतर मंदिरों में प्रतिबंधित कर दिया गया था, उसी तरह ओडिशा के सभी शिव मंदिरों में गांजा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

नशीला पदार्थ है गांजा

गांजे का पौधा कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। भगवान शिव की अराधना के लिए गांजे का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा नशा करने के लिए गांजे का उपयोग किया जाता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार का यह फैसला अनंत बलिया ट्रस्ट के प्रमुख पद्म श्री बाबा बलिया द्वारा पिछले महीने आबकारी विभाग को लिखे पत्र के बाद आया है, जिन्होंने गांजे के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालने वाला इस तरह का नशा ‘भोग’ या प्रसाद के नाम पर किया जा रहा था।

भुवनेश्वर में ‘घरसाना’ रस्म में गांजा का उपयोग किया जाता है जबकि भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर में देवता को गांजा नहीं चढ़ाया जाता है, यह भद्रक में अखंडलामणि मंदिर में ‘घरसाना’ अनुष्ठान के दौरान देखी जाने वाली एक सदी पुरानी प्रथा है। बाद में भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

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