1. Home
  2. हिन्दी
  3. राजनीति
  4. ओपी राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर साधा निशाना – ‘जब मंत्री बनकर मलाई खा रहे थे, तब चौपाई नहीं याद आई’
ओपी राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर साधा निशाना – ‘जब मंत्री बनकर मलाई खा रहे थे, तब चौपाई नहीं याद आई’

ओपी राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर साधा निशाना – ‘जब मंत्री बनकर मलाई खा रहे थे, तब चौपाई नहीं याद आई’

0
Social Share

लखनऊ, 15 फरवरी। रामचरित मानस पर विवादित बयान देकर चौतरफा घिरे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने यह कहते हुए निशाना साधा है कि जब मंत्री बनकर मलाई खा रहे थे, तब उन्हें चौपाई नहीं याद आई।

ओमप्रकाश राजभर ने ये बातें एबीपी न्यूज के एक कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा, ‘स्वामी प्रसाद मौर्य संविधान को नहीं मानते हैं। गले में माला और विचारों पर ताला? अभी जब एमएलसी बने तो बाबा साहब के संविधान की शपथ लिए थे ना? अगर वो मेरे सामने बैठते तो मजा आ जाता। मैं पूछता उनसे कि जब मंत्री थे, सत्ता की मलाई काट रहे थे, तब तो चौपाई याद नहीं आई, तब दोहा नहीं याद आया?’

जब लगा कि अब सत्ता जा रही है तो राम-राम जपने लगे

राजभर ने कहा, ‘जब उन्हें लगा कि अब सत्ता जा रही है तो राम-राम जपने लगे। पांच वर्षों तक यही चौपाई पढ़कर फिर मंत्री बन गए, अपनी बेटी को सांसद बना लिए, तब तो नहीं बोल पाए। जब मैं सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहा था तो स्वामी प्रसाद मौर्य मुस्कुरा कर कहते थे, मैं आपका साथ नहीं दे पाऊंगा। नहीं तो मंत्री पद चला जाएगा।’

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी निशाने पर लिया

ओमप्रकाश राजभर यहीं नहीं रुके। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी निशाने पर लिया। राजभर ने कहा, “सपा में ही दो गुट हो गए हैं। एक गुट भाजपा को जितायेगा और दूसरा सपा को हराएगा। अखिलेश अपरिपक्व नेता हैं। बाप-चाचा की मेहनत की बदौलत मुख्यमंत्री बन गए और जब सीएम बन गए तो उन्हें कुछ दिखाई ही नहीं दिया।”

स्वामी प्रसाद का जवाब – तुलसीदास ने राम के चरित्र के विपरीत लिख दिया

वहीं दूसरी तरफ  सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि जो लोग आज इस देश की महिलाओं, आदिवासी, पिछड़ों, दलितों को अपमानित करना अपना धर्म समझते हैं वो बौखलाए हुए हैं। मौर्य ने कहा, ‘रामचरितमानस पढ़ने से कौन रोक रहा है? बिल्कुल पढ़िए, लेकिन उसकी कुछ चौपाइयां है, जिन पर आपत्ति है, उन्हें बाहर करने की बात की है। राम का आदर्श तो कुछ और था। तुलसीदास ने रामचरित मानस में कुछ और लिख दिया। राम के चरित्र के विपरीत लिख दिया।’

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code