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सीजेआई रमना ने मीडिया को फिर दी नसीहत – खुद को ईमानदार पत्रकारिता तक सीमित रखे ।

सीजेआई रमना ने मीडिया को फिर दी नसीहत – खुद को ईमानदार पत्रकारिता तक सीमित रखे ।

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नई दिल्ली, 26 जुलाई। देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने एक बार फिर मीडिया को उसकी जिम्मेदारी को लेकर नसीहत दी है। सीजेआई रमना मंगलवार को यहां देश के प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र ‘राजस्थान पत्रिका’ के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी द्वारा लिखित पुस्तक ‘गीता विज्ञान उपनिषद’ के विमोचन समारोह के संबोधित कर रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस समारोह की अध्यक्षता की।

स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़, पत्रकार जनता के आंख-कान होते हैं

सीजेआई ने कहा कि स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़ है। पत्रकार जनता के आंख-कान होते हैं। विशेष रूप से भारतीय सामाजिक परिदृश्य में तथ्यों को प्रस्तुत करना मीडिया घरानों की जिम्मेदारी है। लोग अब भी मानते हैं कि जो कुछ भी छपा है, वह सच है।

प्रधान न्यायाधीश रमना ने कहा, मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि मीडिया को अपने प्रभाव और व्यावसायिक हितों का विस्तार करने के लिए एक उपकरण के रूप में इसका उपयोग किए बिना खुद को ईमानदार पत्रकारिता तक सीमित रखना चाहिए।’

इमरजेंसी का हवाला देते हुए जस्टिस रमना ने कहा कि केवल मीडिया घरानों के पास व्यावसायिक सामान नहीं था, जो आपातकाल के काले दिनों में लोकतंत्र के लिए लड़ने में सक्षम थे। मीडिया घरानों की वास्तविक प्रकृति का निश्चित रूप से समय-समय पर आकलन किया जाएगा और परीक्षण के समय उनके आचरण से उचित निष्कर्ष निकाला जाएगा।

रिपोर्टिंग से जुड़े पत्रकारों का दर्द भी बयां किया

खुद पत्रकारिता से करिअर की शुरुआत करने वाले जस्टिस रमना ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि पत्रकारों का मनोबल उस समय टूट जाता है और वे इस पेशे से विश्वास खो बैठते हैं, जब वे किसी स्टोरी पर बहुत मेहनत करते है और संबंधित मीडिया संस्थान उक्त खबर प्रकाशित नहीं करता, जिसके लिए वे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार एक पत्रकार द्वारा जोखिम लेने और बहुत मेहनत और ऊर्जा लगाने के बाद तैयार की गई एक शानदार स्टोरी डेस्क पर मार दी जाती है।

पिछले हफ्ते झारखंड में भी मीडिया को आड़े हाथों लिया था

इससे पहले सीजेआई ने शनिवार को झारखंड में एक कार्यक्रम मीडिया को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने कहा था, ‘हम देख रहे हैं कि मीडिया कंगारू कोर्ट (मनमानी अदालतें) चला रहे हैं। इसके चलते कई बार तो अनुभवी न्यायाधीशों को भी सही और गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, मीडिया द्वारा कई न्यायिक मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाना लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।’

वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पुस्तक के विमोचन के उपरांत पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी  गुलाब की प्रशंसा करते हुए कहा कि कोठारी जी सदैव अपने आलेखों में वेदों के विज्ञान भाव को प्रस्तुत करते रहे हैं। यह ग्रंथ भी गीता व वेद विज्ञान का सरल विवेचन कर नई पीढ़ी का पुरातन ज्ञान से वैज्ञानिक परिचय करवाएगा।

ओम बिरला ने कहा, “गीता हमें नैतिकता-सत्य-धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। हम जितना अधिक गीता का अध्ययन करेंगे, स्वयं के भीतर उतनी ही अधिक ऊर्जा, शक्ति व आत्मबल महसूस करेंगे। कोठरी जी द्वारा कृत ‘गीता विज्ञान उपनिषद’ भी हमें स्वयं और ईश्वर के और नजदीक ले जाने का सार्थक प्रयास है।”

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