उत्तर प्रदेश चुनाव : भाजपा 37 वर्षों बाद इतिहास दोहराने को तैयार, 1985 के बाद किसी भी सीएम की कुर्सी नहीं बची
लखनऊ,10 मार्च। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल के अनुरूप ही मतगणना के रुझान भी सामने आ रहे हैं। गुरुवार को जारी मतगणना में मध्याह्न 12 बजे तक जो रुझान मिले, उनके हिसाब से योगी आदित्यनाथ की अगुआई में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने को तैयार है।
भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 265 से ज्यादा सीटों पर बढ़त
कुल 403 सीटों की मतगणना के दौरान यह समाचर लिखे जाने तक भाजपा और उसके सहयोगी दल 268 सीटों पर आगे चल रहे थे जबकि बहुमत के लिए 203 सीटें की जरूरत है। वहीं समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगी दल लगभग 125 सीटों पर आगे थे। बहुजन समाज पार्टी को चार, कांग्रेस को तीन और अन्य को तीन सीटों पर बढ़त हासिल थी।
सीएम योगी यूपी की राजनीति में कई रिकॉर्ड अपने नाम करेंगे
हालांकि पिछली बार (312 सीटें) के मुकाबले इस बार कम सीटें मिलती नजर आ रही हैं। इसके बावजूद आखिरी नतीजों में यदि कोई बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो योगी आदित्यनाथ बिना किसी मुश्किल के एक बार फिर यूपी में सीएम की कुर्सी संभालेंगे। इसके साथ ही वह यूपी के सियासी मामलों में कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे।
5 वर्ष सरकार चलाने के बाद दोबारा सीएम बनेंगे
उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद से अब तक कोई भी मुख्यमंत्री पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद ठीक अगले चुनावी नतीजों में अपनी कुर्सी नहीं बचा पाया है। ऐसे में योगी की वापसी बड़ी बात होगी। बसपा प्रमुख मायावती पूरे पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने वाली उत्तर प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री हैं। वहीं योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो और अखिलेश यादव के बाद अपना कार्यकाल पूरा करने वाले यूपी के तीसरे मुख्यमंत्री रहे।
37 वर्षों बाद यूपी में कोई सीएम लगातार दोबारा सत्ता हासिल करेगा
उत्तर प्रदेश में 1985 के बाद अब तक कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दोबारा नहीं चुना गया है। कांग्रेसी दिग्गज एनडी तिवारी तब दोबारा सीएम चुने गए थे। ऐसे में भाजपा की जीत इस 37 वर्ष पुराने इतिहास को दोहराएगी।
15 साल बाद निर्वाचित विधायक बैठेगा सीएम कुर्सी पर
इस चुनाव का सर्वाधिक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि अगर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं तो सूबे के राजनीतिक इतिहास में 15 वर्षों बाद ऐसा होगा, जब कोई निर्वाचित विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा। इससे पहले 2007 में मायावती, 2012 में अखिलेश यादव और फिर 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि तीनों विधान परिषद के रास्ते ही सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।
नोएडा जाने और सीएम कुर्सी गंवाने का मिथक भी टूटेगा
यूपी की राजनीति में एक मिथक भी पिछले कुछ दशकों से खूब हावी रहा है। कहा जाता रहा है कि कोई भी मुख्यमंत्री यदि अपने कार्यकाल में नोएडा जाता है, तो उसकी कुर्सी चली जाती है। हालांकि अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी नोएडा नहीं गए। ऐसे ही मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी नोएडा से दूरी रखी। मायावती जरूर 2007 से 2012 के बीच सीएम रहते दो बार नोएडा गईं, लेकिन अगले चुनाव में कुर्सी नहीं बचा सकीं थीं। योगी इस बार यह मिथक तोड़ते नजर आ रहे हैं। वह अपने कार्यकाल में कई बार नोएडा गए हैं।