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पीएम मोदी ने अफगानिस्‍तान की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर गठित किया उच्‍चस्‍तरीय समूह

पीएम मोदी ने अफगानिस्‍तान की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर गठित किया उच्‍चस्‍तरीय समूह

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नई दिल्ली, 31 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में उपजे हालात को देखते हुए एक उच्‍चस्‍तरीय समूह का गठन किया है। इस समूह में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कुछ वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि यह उच्‍चस्‍तरीय समूह पिछले कुछ दिनों से नियमित रूप से बैठक कर रहा है। समूह अफगानिस्‍तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी, अफगानों की यात्रा, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की भारत यात्रा से संबंधित मुद्दों पर विचार करने से जुड़ा है। यह उच्‍चस्‍तरीय समूह इस बात पर भी ध्यान देगा कि भारत के खिलाफ निर्देशित आतंकवाद के लिए किसी भी तरह से अफगान क्षेत्र का उपयोग न हो।

यूएएनएससी से पारित प्रस्ताव पर भी नजर

समझा जाता है कि यह उच्‍चस्‍तरीय समूह अफगानिस्तान में जमीनी स्थिति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं की निगरानी कर रहा है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा सोमवार को पारित प्रस्ताव भी शामिल है।

यूएनएससी ने अफगानिस्‍तान पर प्रस्‍ताव पारित कर तालिबान से आग्रह किया है कि वह अफगान तथा विदेशी ना‍गरिकों को सुरक्षित तरीके से देश छोडने दे।

दूसरे देश पर हमले के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न हो : विदेश सचिव

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने न्‍यूयॉर्क में 15 सदस्‍यीय सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्‍यक्षता की। प्रस्‍ताव पारित होने के बाद श्री हर्षवर्धन ने कहा कि अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल किसी दूसरे देश को धमकाने या उसपर हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने या उन्‍हें प्रशिक्षित करने अथवा आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के लिए भी अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूएनएससी का प्रस्‍ताव 1267 भारत के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है।

प्रस्‍ताव में इस बात को भी शामिल किया गया है कि तालिबान अफगानिस्‍तान में संयुक्‍त राष्‍ट्र तथा अन्‍य एजेंसियों को मानवीय सहायता पहुंचाने के उद्देश्‍य से उन्‍हें देश में सुरक्षित और निर्बाधित आवाजाही की अनुमति देगा।

यह प्रस्‍ताव अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से लाया गया था। यह प्रस्‍ताव परिषद के 13 सदस्‍यों के समर्थन से पारित किया गया, जबकि एक सदस्‍य देश ने इसका विरोध किया। रूस और चीन ने वोटिंग में हिस्‍सा नहीं लिया।

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