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एलजेपी पर किसका अधिकार : दिल्ली हाई कोर्ट से चिराग पासवान की याचिका खारिज

एलजेपी पर किसका अधिकार : दिल्ली हाई कोर्ट से चिराग पासवान की याचिका खारिज

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नई दिल्ली, 9 जुलाई। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी या लोजपा) पर अधिकृत रूप से चिराग पासवान का कब्जा होगा या चार अन्य सांसदों के साथ मिलकर चिराग को अपदस्थ करने के साथ खुद पार्टी के मुखिया बन बैठे उनके चाचा पशुपति कुमार पारस कमान संभालेंगे, यह मसला अभी पूरी तरह निबटा नहीं है। लेकिन उसके पहले चिराग को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा, जिसने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के फैसले के खिलाफ दाखिल चिराग की अर्जी शुक्रवार को यह कहते हुए खरिज कर दी कि उसमें कोई नया आधार नहीं है।

कोर्ट ने कहा – मसला लोकसभा स्पीकर के पास लंबित, लिहाजा आदेश की कोई जरूरत नहीं

चिराग पासवान ने याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनके चाचा पशुपति पारस की अगुआई वाले गुट को सदन में एलजेपी के तौर पर मान्यता दी गई है। याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि मामला लोकसभा स्पीकर के पास लंबित है, लिहाजा इस मामले में आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है।

लोकसभा में लोजपा के संसदीय दल के नेता और पार्टी की ओर से मंत्रिमंडल के सदस्य के तौर पर पशुपति पारस को मंत्री बनाने के खिलाफ दाखिल चिराग की याचिका पर हाई कोर्ट ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के वकील से कहा, ‘आप स्पीकर से ये पूछ कर आएं कि पार्टी विवाद को लेकर वह चिराग पासवान की अर्जी पर स्पीकर फैसला ले रहे हैं या नहीं।’

चिराग को चुनाव आयोग जाना चाहिए : हाई कोर्ट
अदालत ने लोकसभा स्पीकर के वकील को 10 मिनट में बताने को कहा। कोर्ट ने साथ ही चिराग गुट से कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए, यहां नहीं आना चाहिए था।’ इस दौरान चिराग के वकील ने कहा कि नियमानुसार पार्टी ही नेता की नियुक्ति करती है।

सॉलिसिटर जनरल की दलील – पार्टी के आधार पर याचिका दाखिल नहीं कर सकते चिराग
केंद्र सरकार और लोकसभा स्पीकर की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पीकर को पार्टी बनाने की कोई जरूरत नहीं है जबकि चिराग पासवान पार्टी के आधार पर याचिका दाखिल नहीं कर सकते। मेहता ने कहा कि छह में चुने गए पांच सांसद चिराग के साथ नहीं हैं, इसलिए इस याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए और इस याचिका का न्यायिक पुनरावलोकन भी नहीं होना चाहिए।

मोदी कैबिनेट में शामिल किए जा चुके हैं पशुपति पारस
गौरतलब है कि गत सात जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में एलजेपी के सांसद पशुपति पारस को मंत्री बनाए जाने और उससे पहले लोकसभा में उन्हें एलजेपी संसदीय दल के नेता बनाने के दोहरे झटके से नाराज चिराग पासवान ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। पशुपति पारस को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्क रण मंत्री बनाया गया है।

चिराग का चाचा पशुपति पर धोखाधड़ी करने का आरोप

याचिका में चिराग ने पार्टी संविधान की दुहाई देते हुए चाचा पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। चिराग का कहना था कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोजपा से पशुपति कुमार पारस को पहले ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है।

ज्ञातव्य है कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति को नेता सदन मानने के बाद लोजपा ने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फैसले पर पुनर्विचार याचिका दी थी, जो अब भी विचाराधीन है।

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