योगी सरकार का फैसला : पुरानी व्यवस्था फिर होगी बहाल, अब डीएम की अध्यक्षता में होगी कानून-व्यवस्था की बैठक
लखनऊ, 31 अगस्त। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की कानून व्यवस्था में पाई गईं कुछ खामियों के मद्देनजर पुरानी व्यवस्था फिर से बहाल करने का निर्णय लिया है। यानी अब जिलाधिकारी (डीएम) ही जिले के सुपर बॉस होंगे और उनकी अनुमति के बिना कानून व्यवस्था को लेकर कोई फैसला पुलिस कप्तान नहीं कर पाएंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो अब डीएम ही कानून व्यवस्था की बैठक लेंगे। मायावती और अखिलेश यादव की सरकारों ने कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने की उक्त व्यवस्था लागू थी, जिसे योगी सरकार ने बदल दिया था।
दरअसल, लोकसभा चुनावों के पहले सूबे में बदले रहे राजनीतिक माहौल में कानून व्यवस्था को लेकर कोई बखेड़ा ना खड़ा होने पाए, इसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार सतर्क हुई है। यूपी से सटे राज्यों में बीते दिनों हिंसा कई घटनाओं के चलते यूपी में भी चौकसी बढ़ानी पड़ी थी। इसी का संज्ञान लेते हुए राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर भी समीक्षा ही गई तो उसमें कई खामियां सामने आई थीं।
अब भविष्य की चुनौतियों (लोकसभा चुनावों के चलते बदल रहे राजनीतिक माहौल) को देखते हुए योगी सरकार को इस बात की आवश्यकता महसूस हुई है कि जिलों की कमान फिर डीएम को सौंपी जाए, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में बुधवार को सूबे की कानून व्यवस्था को लेकर हुई बैठक में नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया गया। बैठक के बाद सूबे के सभी 75 जिलों में नया आदेश भी जारी कर दिया गया।
68 जिलों में डीएम की मंजूरी से थानाध्यक्ष की तैनाती होगी
इस आदेश के बाद जिलों के पुलिस कप्तानों को बड़ा झटका लगा है। अब प्रदेश के 68 जिलों में डीएम को कानून व्यवस्था की बैठक लेने का अधिकार होगा। इन जिलों में डीएम की मंजूरी के बिना थानाध्यक्ष की तैनाती नहीं होगी। पहले पुलिस अधीक्षक ही थानों में थानाध्यक्ष की नियुक्ति करते थे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में थानाध्यक्षों की तैनाती को लेकर कई जिलों में डीएम और एसपी (पुलिस अधीक्षक) के बीच विवाद हुआ था, जिसका असर जिले की कानून व्यवस्था पर पड़ा था। उसके चलते कानून व्यवस्था की बैठक लेने का अधिकार डीएम से ले लिया गया था।
पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली वाले 7 जिलों में यह आदेश लागू नहीं होगा
फिलहाल यह आदेश पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली वाले लखनऊ, कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी और प्रयागराज में लागू नहीं होगा। इन जिलों में पुलिस कमिश्नर ही कानून व्यवस्था की बैठक की अध्यक्षता करेंगे और उनकी सहमति से ही थानाध्यक्ष की तैनाती होगी।