लखनऊ, 25 सितम्बर। उत्तर प्रदेश सरकार ने आपराधिक घटनाओं या दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों के शवों के दाह संस्कार के संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है। लोगों को अब सड़कों पर शव रखने और विरोध में यातायात अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं होगी। यह दंडनीय अपराध होगा।
सार्वजनिक स्थान या सड़क पर शव रखने पर होगी काररवाई
गृह विभाग के प्रवक्ता के अनुसार इस संबंध में एक जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय के आदेश पर एसओपी आता है। प्रवक्ता ने कहा, ‘जो कोई भी सार्वजनिक स्थान या सड़क पर शव रखता है, उसके खिलाफ काररवाई की जाएगी क्योंकि यह मृतक का अपमान है।’
पोस्टमार्टम के बाद शव को सीधे घर ले जाना होगा और वहां से श्मशान
एसओपी के अनुसार जब मृतकों के परिवारों को पोस्टमार्टम के बाद शव सौंपे जाते हैं, तो उन्हें लिखित में देना होगा कि वे शव को सीधे अपने घर ले जाएंगे और उसके बाद श्मशान ले जाकर अंतिम संस्कार करेंगे। उन्हें विरोध के निशान के रूप में किसी भी स्थान पर शव रखने की अनुमति नहीं होगी। ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले किसी भी संगठन को भी काररवाई का सामना करना पड़ेगा।
पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी
ऐसे मामलों में, जहां रात में दाह संस्कार होता है, मृतक के परिवार को लिखित में अपनी स्वीकृति देनी होगी और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। संबंधित परिवार और जिला प्रशासन के बीच आदान-प्रदान किए गए किसी भी संदेश को एक वर्ष के लिए रिकॉर्ड के रूप में संरक्षित किया जाएगा। यह फैसला सितम्बर, 2020 की मध्यरात्रि में हाथरस पीड़िता के दाह संस्कार को लेकर हुए आक्रोश के बाद आया है।
परिवार ने शव लेने से इनकार किया तो जिला मजिस्ट्रेट करेंगे अंतिम क्रिया पर फैसला
ऐसे मामलों में जहां परिवार शव लेने से इनकार करता है, स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जाएगा और जिला मजिस्ट्रेट मृतक के दाह संस्कार/दफन के बारे में फैसला करेंगे।