1. Home
  2. हिंदी
  3. राष्ट्रीय
  4. सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए श्रमिक चिनूक हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश लाए गए, गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा
सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए श्रमिक चिनूक हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश लाए गए, गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा

सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए श्रमिक चिनूक हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश लाए गए, गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा

0
Social Share

ऋषिकेश, 29 नवम्बर। उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए सभी 41 श्रमिकों को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से बुधवार को चिन्यालीसौड़ से एम्स ऋषिकेश लाया गया, जहां उनका गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा लगातार युद्धस्तर पर चलाए गए बचाव अभियान के 17वें दिन मंगलवार रात को सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया था।

सुरंग से बाहर निकाले जाने के बाद उन्हें सिलक्यारा से 30 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया था। सभी श्रमिक स्वस्थ हैं, लेकिन 16 दिन सुरंग में रहने के कारण संभावित स्वास्थ्य परेशानियों के द्रष्टिगत उन्हें एम्स ऋषिकेश ले जाया गया है।

एम्स ऋषिकेश के एक अधिकारी ने बताया कि श्रमिकों को पहले ट्रॉमा वार्ड में ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वहां से उन्हें 100 बिस्तरों वाले आपदा वार्ड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जहां उनके स्वास्थ्य के सभी पैरामीटर चेक किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अस्पताल में श्रमिकों के स्वस्थ्य परीक्षण के लिए सभी सुविधाएं और चिकित्सक मौजूद हैं।

सीएम धामी ने चिन्यालीसौड़ में की श्रमिकों से मुलाकात, राहत राशि के चेक भी दिए

इससे पहले, चिन्यालीसौड़ अस्पताल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रमिकों से मिलकर उनका हालचाल लिया और प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये की राहत राशि के चेक प्रदान किए। बाद में मीडिया से बातचीत में सीएम धामी ने कहा कि सभी लोग स्वस्थ और प्रसन्न हैं, लेकिन डॉक्टरों के परामर्श पर उन्हें जांच के लिए एम्स ऋषिकेश भेजा जा रहा है।

गौरतलब है कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा गत 12 नवम्बर को ढह जाने से मलबे के दूसरी ओर 41 श्रमिक फंस गए थे, जो युद्धस्तर पर चलाए गए बचाव अभियान के बाद मंगलवार को सकुशल बाहर निकाले गए।

श्रमिकों ने शुरुआती 10 दिनों में प्यास बुझाने के लिए चट्टानों से टपकते पानी को चाटा

अंदर फंसे श्रमिकों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए चट्टानों से टपकते पानी को चाटा और शुरुआती दस दिनों तक मुरमुरे खाकर जीवित रहे। शुरुआती दस दिनों की चिंता के बाद पानी की बोतलें, केले, सेब और संतरे जैसे फलों के अलावा चावल, दाल और चपाती जैसे गर्म भोजन की आपूर्ति नियमित रूप से की जाने लगी।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code