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महिलाएं विकास की दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभाएं: सावित्री ठाकुर

महिलाएं विकास की दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभाएं: सावित्री ठाकुर

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नई दिल्ली, 12फ़रवरी। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने सामाजिक विकास आयोग के 63वें सत्र में मंत्रिस्तरीय मंच पर कहा कि भारत विकास के लिए 2030 एजेंडे पर प्रगति को गति देने की दिशा में कार्य कर रहा है, ऐसे में महिलाओं की कार्यबल भागीदारी बढ़ाना एक प्रमुख प्राथमिकता है।

भारत ने 10 से 14 फरवरी, 2025 तक अमेरिका के न्‍यूयॉर्क में आयोजित किए जा रहे सामाजिक विकास आयोग (सीएसओसीडी) के 63वें सत्र में सहभागिता की। इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने इस भागीदारी का नेतृत्व किया।

सत्र में 16 देशों के मंत्रियों सहित 49 देशों ने भाग लिया

इस सत्र में फ्रांस, तुर्की, सऊदी अरब, स्वीडन आदि जैसे 16 देशों के मंत्रियों सहित 49 देशों ने भाग लिया। भारत ने सत्र के दौरान हुई प्रमुख चर्चाओं में सक्रिय भागीदारी की प्राथमिकता पर बल दिया।

सावित्री ठाकुर ने मंत्रिस्तरीय मंच पर भारत का वक्तव्य दिया

कल मंगलवार को सावित्री ठाकुर ने मंत्रिस्तरीय मंच पर भारत का वक्तव्य देते हुए प्राथमिकता वाले विषय एकजुटता और सामाजिक सामंजस्य को मजबूत बनाने’ पर अपने विचार व्‍यक्‍त किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत ने लैंगिक डिजिटल विभाजन को समाप्‍त करने के लिए व्‍यापक स्‍तर पर कार्यक्रमों का शुभारंभ किया है, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा मिला है। इसने स्टार्ट-अप से लेकर स्केलेबल व्यवसायों तक लाखों महिला उद्यमियों को सशक्त बनाया है।

100 मिलियन से अधिक बच्चे, माताएं और किशोर लड़कियां लाभान्वित

उन्होंने कहा कि भारत के मजबूत सामाजिक सुरक्षा मॉडल में 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश, 37.5 मिलियन माताओं के लिए मातृत्व लाभ, वन स्टॉप सेंटरों का एक नेटवर्क और एक एकीकृत राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन शामिल है। इसके अलावा, भारत की प्रारंभिक बचपन देखभाल, पोषण और शिक्षा पहलों से 100 मिलियन से अधिक बच्चे, माताएं और किशोर लड़कियां लाभान्वित हो रही हैं।

भारत के अधिकार-आधारित दृष्टिकोण ने महिलाओं और वंचित समुदायों के जीवन को बदल दिया

सावित्री ठाकुर ने कहा, “प्रजनन स्वास्थ्य सहित सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, तथा स्वच्छ भोजन पकाने के ईंधन, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और किफायती आवास के प्रावधान के प्रति भारत के अधिकार-आधारित दृष्टिकोण ने महिलाओं और वंचित समुदायों के जीवन को बदल दिया है।

गरीबों के लिए 40 मिलियन से अधिक घर बनाए गए हैं, जिनमें महिलाएं या तो एकमात्र या संयुक्त मालिक हैं।” उन्होंने कहा कि लगभग 100 मिलियन महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जोड़ा गया है, जो आर्थिक परिवर्तन और जमीनी स्तर पर नेतृत्व में योगदान दे रही हैं।

सतत विकास के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में भी अग्रणी भूमिका

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार भारत ने एकजुटता और सामाजिक सामंजस्य को मजबूत बनाने के महत्व पर चर्चा करने में आयोग के नेतृत्व के साथ यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि इस मामले में कोई भी पीछे न छूटे। आपको बता दें, 1995 के कोपेनहेगन सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन के बाद से, भारत ने गरीबी, कुपोषण और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा से जुड़े समाधानों के मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की है, साथ ही सतत विकास के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में भी अग्रणी भूमिका निभाई है।

वहीं, वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के साथ सामंजस्‍य बिठाकर और स्वदेशी समाधान विकसित करते हुए भारत ग्‍लोबल साउथ के लिए एक मॉडल बन चुका है।

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