वरुण गांधी ने जेएनयू की पहली महिला कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित की नियुक्ति पर उठाया सवाल
नई दिल्ली, 8 फरवरी। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पहली महिला कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित की नियुक्ति पर सवाल उठाया है। दरअसल, प्रो. शांतिश्री के अंग्रेजी में लिखे गए एक पत्र में व्याकरण की कई अशुद्धियां हैं और उन्हीं गलतियों को दिखाते हुए वरुण गांधी ने उनकी नियुक्ति को औसत दर्जे का करार दिया है।
व्याकरण की गलतियों से भरे पत्र को ‘निरक्षरता की प्रदर्शनी‘ करार दिया
वरुण गांधी ने प्रो. पंडित द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री को धन्यवाद देने वाले पत्र को ट्विटर पर साझा करते हुए कहा कि नई जेएनयू कुलपति द्वारा जारी यह प्रेस विज्ञप्ति निरक्षरता का प्रदर्शन करती है और व्याकरण की गलतियों से भरी पड़ी है।
This press release from the new JNU VC is an exhibition of illiteracy,littered with grammatical mistakes (would strive vs will strive;students friendly vs student-friendly;excellences vs excellence).Such mediocre appointments serve to damage our human capital & our youth’s future pic.twitter.com/tSanmy3VfR
— Varun Gandhi (@varungandhi80) February 8, 2022
कई सोशल मीडिया यूजरों ने भी की नियुक्ति की आलोचना
उन्होंने ट्वीट में आगे लिखा, ‘इस तरह की साधारण नियुक्तियां हमारी मानव पूंजी और हमारे युवाओं के भविष्य को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं।’ इस दौरान उन्होंने पत्र में मौजूद अंग्रेजी व्याकरण की गलतियों का भी उल्लेख किया। भाजपा सांसद वरुण के साथ ही कई सोशल मीडिया यूजरों ने भी प्रो. पंडित के पत्र में व्याकरण की गलतियों की ओर ध्यान दिलाया और उनकी नियुक्ति की आलोचना की।
गौरतलब है कि 24 घंटे पहले ही सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में राजनीति एवं लोक प्रशासन विभाग की प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित को जेएनयू का नया कुलपति नियुक्त किया गया। जेएनयू की स्थापना के बाद से वह पहली महिला कुलपति हैं।
प्रो. शांतिश्री के अपुष्ट ट्विटर हैंडल से किया गया था विवादित ट्वीट
प्रो. शांतिश्री की नियुक्ति के तत्काल बाद ही उनके नाम के एक अपुष्ट ट्विटर हैंडल से एक विवादित ट्वीट किया गया था। उस ट्वीट में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था। भारतीय ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर बीमार जिहादी बताया गया था। ट्वीट के बाद विवाद बढ़ते देख उस ट्विटर हैंडल को ही डिलीट कर दिया गया।