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वाराणसी को मिला भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान, सोनोवाल ने हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की

वाराणसी को मिला भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान, सोनोवाल ने हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की

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वाराणसी, 11 दिसम्बर। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुरुवार को यहां नमो घाट पर देश के पहले पूरी तरह से स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री यात्री जलयान वाणिज्यिक संचालन को हरी झंडी दिखाकर गंगा नदी में रवाना किया।

यह जलयान भारत में समुद्री परिवेश में हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रणोदन का प्रदर्शन करने वाला पहला जलयान है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया गया है। यह एक निम्न तापमान प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन ईंधन सेल प्रणाली पर संचालित होता है, जो संग्रहित हाइड्रोजन को बिजली में परिवर्तित करता है और उप-उत्पाद के रूप में केवल पानी उत्सर्जित करता है।

सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत स्वच्छ, टिकाऊ और आत्मनिर्भर परिवहन प्रणालियों की ओर एक परिवर्तनकारी बदलाव देख रहा है। हमारे पहले स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित जलयान का शुभारंभ प्रधानमंत्री जी के इस दृष्टिकोण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।’

उन्होंने कहा, ‘यह उपलब्धि प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ की प्रतिबद्धता और सभी क्षेत्रों में हरित परिवहन की ओर बदलाव को दर्शाती है। यह उपलब्धि हमारी पवित्र गंगा के पुनरुद्धार और संरक्षण के व्यापक मिशन को भी मजबूत करती है। जलमार्गों पर स्वच्छ तकनीकों को बढ़ावा देते हुए, हम न केवल नवाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि विकास पर्यावरण के प्रति हमारे दायित्व  के साथ-साथ चले। आज की यह उपलब्धि हमारे राष्ट्र के लिए एक हरित और समृद्ध समुद्री भविष्य के निर्माण के प्रति प्रधानमंत्री के अटूट संकल्प को दर्शाती है।’

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने तैयार किया है यह जलयान

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के स्वामित्व वाला यह जलयान कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा निर्मित किया गया है। परीक्षण संचालन पूर्ण होने के बाद जलयान सेवा में प्रवेश करेगा। यह पहल 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और भारत के अंतर्देशीय जलमार्गों में स्वच्छ, टिकाऊ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के प्रयासों का समर्थन करती है।

हाइड्रोजन ईंधन चालित जलयान की वाणिज्यिक सेवा की शुरुआत स्वच्छ और अधिक टिकाऊ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में भारत के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री सोनोवाल के नेतृत्व में, आईडब्ल्यूएआई मेरीटाइम इंडिया विजन 2030 और मेरीटाइम अमृत काल विजन 2047 के अंतर्गत उन्नत हरित प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक ईंधनों को अपनाने को बढ़ावा दे रहा है।

सोनोवाल ने आगे कहा, ‘हाइड्रोजन ईंधन चालित इस जलयान की सफल तैनाती स्वच्छ और टिकाऊ जलमार्गों की दिशा में भारत के परिवर्तन को गति देने के लिए हमारे मंत्रालय की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मैं इस अग्रणी जलयान को उपलब्ध कराने के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और विभिन्न परीक्षणों के बाद इसे वाणिज्यिक सेवा में शामिल करने के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को बधाई देता हूं।’

मोदी सरकार के नेतृत्व में नेट-जीरो जलमार्गों की दिशा में एक बड़ा कदम

उन्होंने कहा, ‘यह उपलब्धि 2070 तक भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों को पूरा करने और अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में अत्याधुनिक हरित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के हमारे संकल्प का प्रमाण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के परिवर्तनकारी मेरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) 2030 और मेरीटाइम अमृत काल विजन (एमएकेवी) 2047 के दीर्घकालिक रोडमैप के मार्गदर्शन में, हम देश के लिए एक आधुनिक, ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को निरंतर आकार दे रहे हैं।’

24 मीटर लंबा कैटामरान वातानुकूलित केबिन में 50 यात्रियों को ले जा सकता है

शहरी परिवहन के लिए डिजाइन किया गया 24 मीटर लंबा यह कैटामरान वातानुकूलित केबिन में 50 यात्रियों को ले जा सकता है और 6.5 समुद्री मील की गति से चलती है। इसकी हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली में हाइड्रोजन ईंधन सेल, बैटरी और सौर ऊर्जा का संयोजन है, जिससे एक बार हाइड्रोजन भरने पर यह आठ घंटे तक चल सकती है। यह जलयान इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग द्वारा प्रमाणित है।

पायलट जलयान एफसीवी पायलट-01 को चालू करने के लिए, आईडब्ल्यूएआई, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और इनलैंड एंड कोस्टल शिपिंग लिमिटेड ने तकनीकी सहायता, संचालन और निगरानी को रेखांकित करते हुए एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। इस समझौते में वित्तीय शर्तें, सुरक्षा प्रक्रियाएं, निगरानी तंत्र और पायलट चरण के दौरान आवधिक निरीक्षण के प्रावधान शामिल हैं।

स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिलने की संभावना

वाराणसी में शुरू हाइड्रोजन ईंधन चालित जलयान शहरी जल परिवहन को कई महत्वपूर्ण लाभ पहुंचाता है, जिनमें यात्रियों और तीर्थयात्रियों के लिए शोर-मुक्त यात्रा, केवल जल उत्सर्जन धुआं मुक्त, प्रदूषण मुक्त, और जलमार्गों के माध्यम से तेज आवागमन से सड़क पर भीड़भाड़ में कमी शामिल है। इससे स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है, साथ ही वाराणसी हाइड्रोजन-संचालित यात्री परिवहन को अपनाने वाले विश्व के पहले शहरों में से एक बन जाएगा।

अतिथियों ने की नमो घाट से ललिता घाट तक पांच किलोमीटर की यात्रा

नमो घाट से ललिता घाट तक पांच किलोमीटर की यात्रा पर पहली बार चलने वाले इस जलयान में मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य लोगों के एक दल को ले जाया गया, जो गंगा नदी पर हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले यात्री जलयान के वाणिज्यिक संचालन का संकेत था। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ, उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दया शंकर मिश्रा ‘दयालु’ सहित कई प्रतिष्ठित नेता उपस्थित थे। कई विधायक – अवधेश सिंह, नीलकंठ तिवारी, डॉ. सुनील पटेल, सौरभ श्रीवास्तव, अनिल राजभर, नील रतन सिंह और त्रिभुवन राम – और वाराणसी नगर निगम के महापौर अशोक कुमार तिवारी भी मौजूद थे। इसके अलावा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव विजय कुमार, आईडब्ल्यूएआई अध्यक्ष सुनील पालीवाल और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

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