यूपी चुनाव : उमाशंकर सिंह ने जीत की हैट्रिक से बचाई बसपा की लाज, रसड़ा से पार्टी को दिलाई इकलौती सीट
बलिया, 11 मार्च। चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का उत्तर प्रदेश में राजनीतिक ग्राफ इस कदर गिर चुका है कि इस चुनाव में भाजपा की उल्लेखनीय सफलता के बीच उसे सिर्फ एक सीट पर सिमट जाना पड़ा। बसपा को यह इकलौती सफलता पूर्वांचल में बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से मिली है, जहां उमाशंकर सिंह ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर हैट्रिक बनाई।
2012 में बड़ी जीत से पहली बार पहुंचे थे विधानसभा
हालांकि बसपा के लिए रसड़ा विधानसभा सीट पुरानी है। इस सीट से कई बार घूरा राम चुनाव जीते थे। हालांकि तब यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित थी। वर्ष 2012 में परिसीमन बदलने के बाद यह सीट सामान्य हो गई और विधानसभा चुनाव में पहली बार उमाशंकर सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा के सनातन पांडेय को करीब 52 हजार मतों से हराया था।
पिछली बार भाजपा की लहर में 33 हजार मतों से जीते थे
इसके बाद 2017 के चुनाव में जब भाजपा की लहर चल रही थी, तब भी उमाशंकर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी राम इकबाल सिंह को 33 हजार मतों से हराया। हालांकि इस बार चुनाव जीतने के लिए उमाशंकर को कड़ी टक्कर का सामना करना और उन्होंने सुभासपा प्रत्याशी महेंद्र चौहान को 5,194 मतों से पराजित किया।
सतीश चंद्र कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव से शुरू किया राजनीतिक करिअर
बलिया के नगरा थाना क्षेत्र के खनवर गांव के रहने वाले उमाशंकर सिंह के राजनीतिक करिअर की बात करें तो उन्होंने 1991 में बलिया के सतीश चंद्र कॉलेज से छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और महामंत्री चुने गए थे। इसके बाद 2000 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसी जीत के साथ उनका राजनीतिक सफर आगे बढ़ा।
उमाशंकर सिंह ने 2009 में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली और व्यवसाय में रम गए। लेकिन राजनीति से दूर नहीं हुए। इसी दौरान 2011 में वह बसपा सुप्रीमो मायावती के संपर्क में आए और पार्टी ज्वॉइन कर ली और तब से अपनी मेहनत के बल पर वह अब तक बहनजी के भरोसे पर खरे उतरते रहे हैं।
समाजिक कार्यों के चलते क्षेत्र में काफी लोकप्रियता
उमाशंकर सिंह की पहचान न सिर्फ बसपा के कद्दावर नेताओं में होती है बल्कि इलाके में भी वह काफी लोकप्रिय हैं। पहली बार विधायक बनने के बाद उन्होंने क्षेत्र में 251 गरीब जोड़ों का सामूहिक विवाह अपने खर्चे से कराया था। इसी तर्ज पर अगली बार इन्होंने 351 जोड़ों की सामूहिक शादियां कराईं। इसी क्रम में उमाशंकर सिंह की बेटी की शादी में भी मायावती शरीक हुई थीं।
कोरोना काल में भी उमाशंकर सिंह ने अपने क्षेत्र की जनता के लिए काफी काम किया। उन्होंने न जाने कितने लोगों का इलाज अपने खर्चे से कराया और अस्पतालों को ऑक्सीजन के सिलेंडर मुहैया कराए।
‘यह रसड़ा की जनता की जीत, भरोसे पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा‘
उमाशंकर सिंह ने बताया कि रसड़ा की जनता उनके ऊपर भरोसा करती आई है और यह जनता की जीत है। उन्होंने कहा, ‘मैं यहां की जनता के भरोसे पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करता रहूंगा।’
बसपा के खराब प्रदर्शन के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘हम लोग समीक्षा कर रहे हैं। कहीं ना कहीं लोगों के बीच इस तरह का दुष्प्रचार किया गया था कि बसपा बीजेपी की बी टीम है, जिसकी वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में माइनॉरिटी को लगने लगा कि बीएसपी बीजेपी की बी टीम है। माइनॉरिटी वोटर गलतफहमी में आ गए और उनका वोट हमको नहीं मिला।’