1. Home
  2. हिंदी
  3. चुनाव
  4. यूपी चुनाव : कांग्रेस के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन, प्रियंका सिर्फ दो सीटें दिला सकीं
यूपी चुनाव : कांग्रेस के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन, प्रियंका सिर्फ दो सीटें दिला सकीं

यूपी चुनाव : कांग्रेस के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन, प्रियंका सिर्फ दो सीटें दिला सकीं

0
Social Share

लखनऊ, 11 मार्च। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक तरफ भारतीय जनता पार्टी से लड़ाई में समाजवादी पार्टी जहां अपनी सीटों में लगभग ढाई गुना वृद्धि करने में सफल रही वहीं बहुजन समाज पार्टी के साथ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को भी जबर्दस्त झटका लगा। कांग्रेस को तो यूपी विधानसभा चुनावों के इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन से गुजरना पड़ा और उसे हाथ सिर्फ दो सीटें लगीं।

प्रियंका गांधी का जादू भी नहीं चला

गौर करने वाली बात तो यह है कि कांग्रेस महासचिव और यूपी की पार्टी चुनाव प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा खुद पिछले कई माह से सक्रिय थीं। इस दौरान उन्होंने पार्टी के संकल्प पत्र में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ नारे के साथ राज्य की महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत का वादा किया था। लेकिन उन्हें जैसे प्रदर्शन की उम्मीद थी, वैसा नहीं हो सका।

आराधना मिश्रा और वीरेंद्र चौधरी रहे कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार

कांग्रेस के इस खराब प्रदर्शन के बीच जिन दो उम्मीदवारों ने पार्टी का सफाया होने से बचाया, उनके नाम आराधना मिश्रा ‘मोना’ और वीरेंद्र चौधरी हैं। आराधना सियासत के अनुभवी खिलाड़ी व पूर्व राज्य सभा सदस्य प्रमोद तिवारी की बेटी हैं और उन्होंने प्रतापगढ़ के रामपुर खास सीट पर भाजपा के नागेश प्रताप सिंह उर्फ छोटे सरकार को 14,741 वोटों से हराया और जीत की तिकड़ी पूरी की।

42 वर्षों से कांग्रेस के कब्जे में है रामपुर खास सीट, प्रमोद तिवारी नौ बार विजेता रहे

यह सीट 1980 से कांग्रेस के कब्जे में है और उसे यहां लगातार 12वीं जीत मिली। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी इस सीट से रिकार्ड लगातार नौ बार विधायक रहे। वर्ष 2014 में प्रमोद के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद हुए उपचुनाव में बेटी आराधना यहां से पहली बार विधायक बनीं और तब से उनकी श्रेष्ठता बरकरार है।

वहीं वीरेंद्र चौधरी महराजगंज के फरेंदा से वीरेंद्र चौधरी विजयी रहे। उन्होंने भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह को कांटे की टक्कर में 1246 मतों से हराया। फिलहाल कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन तो राष्ट्रीय लोक दल, सुभासपा और निषाद पार्टी ने किया। पश्चिमी यूपी में चुनाव लड़ने वाले आरएलडी ने आठ तो सुभासपा और निषाद पार्टी ने छह-छह सीटें जीतीं।

वर्ष 1991 से यूपी चुनाव में 50 का आंकड़ा पार नहीं कर सकी है कांग्रेस

गौरतलब है कि लंबे समय बाद यूपी में कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा। शुरुआती समय में जरूर प्रियंका गांधी गठबंधन के लिए सहमत दिखीं, लेकिन आखिरकार चुनावी मैदान में अकेले उतरने का फैसला किया, फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ। पिछला यूपी चुनाव कांग्रेस और सपा ने मिलकर लड़ा था। तब उसे सात सीटों से संतोष करना पड़ा था।

वर्ष 1951 में हुए यूपी के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की थी और उसे 388 सीटें मिलीं थीं। इसके बाद दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 286 सीटों पर कब्जा किया। बाद में 1980 में पार्टी को 309 और 1985 में 269 सीटें मिलीं। वर्ष 1991 में हुए विधानसभा चुनाव से कांग्रेस 50 का आंकड़ा नहीं पार कर पाई है। ऐसे में इस बार के नतीजे पार्टी के लिए सबसे खराब साबित हुए।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code