वाराणसी में खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं गंगा का जलस्तर थमा, 608.572 हेक्टेयर फसल प्रभावित
वाराराणसी, 30 अगस्त। वाराणसी में पिछले कई दिनों से बढ़ाव के बीच खतरे का निशान (71.262 मीटर) पार कर चुकीं गंगा का जलस्तर मंगलवार को स्थिर हो गया। खतरे का निशान पार करने के बाद गंगा का जलस्तर एक सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा था, जो 72.14 मीटर पर जाकर स्थिर हो गया है। गंगा का जलस्तर स्थिर होते ही तटवर्ती लोगों ने राहत की सांस ली है।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में भी गंगा का प्रवेश
इस बीच लगातार जलस्तर बढ़ने के बीच सोमवार को देर रात देर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर क्षेत्र में गंगा ने दस्तक दे दी तो लगा मानो बाबा का अभिषेक करने के बाद ही अब वह लौटेंगी। गंगा ने बाबा दरबार परिक्षेत्र में प्रवेश किया तो आस्थावानों ने हर हर गंगे और हर हर महादेव का उद्घोष भी किया। कई वर्षों में यह अनोखा मौका था, जब गंगा बाबा दरबार की ओर जा पहुंची हैं। फिलहाल अब जलस्तर स्थिर होने के बाद उम्मीद है कि घटाव शुरू होगा।
उधर जिला प्रशासन की नजर लगातार गंगा के जलस्तर पर बना हुई है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा पूरी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग कर रहे है। बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट एवं विभागीय अधिकारी बराबर चक्रमण कर राहत एवं बचाव कार्य पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। एनडीआरफ की टीमों के साथ पीएसी के जवान भी पूरी मुस्तैदी से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एवं राहत केंद्रों में रह रहे लोगों को राहत एवं खाद्य सामग्री का वितरण
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एवं बाढ़ राहत केंद्रों में रह रहे लोगों को राहत एवं खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में मवेशियों के चारा एवं भूसे का भी व्यवस्था सुनिश्चित कराया गया है। चिकित्सा दल द्वारा राहत शिविरों एवं बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार बेहतर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ मवेशियों का भी चिकित्सा एवं टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
बाढ़ में लगभग 135 गावों की 608.572 हेक्टेयर फसल प्रभावित
जनपद में संचालित राहत शिविरों के लिए गठित कुल 40 मेडिकल टीमे हैं। अब तक कुल 1204 लोगों का उपचार किया गया। बाढ़ से प्रभावित पशुओं को अब तक 1125 कुंतल भूसा वितरित किया गया जबकि 633 पशुओं का इलाज किया गया। राहत एवं बचाव कार्य हेतु 59 नौकाएं लगाई गई हैं। हालांकि बाढ़ में लगभग 135 गावों की 608.572 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है।