सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग : पत्नी गीतांजलि की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 6 अक्टूबर को करेगा सुनवाई
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर। लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़काने के आरोपित जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट छह अक्तूबर को सुनवाई करेगा।
गीतांजलि की उस याचिका पर यह सुनवाई होगी, जिसमें उन्होंने एनएसए के तहत पति की हिरासत के खिलाफ और उनकी रिहाई की मांग की है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। स्मरण रहे कि सोनम वांगचुक पर लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया गया था।
वांगचुक के लिए पत्नी ने कानूनी लड़ाई का रास्ता चुना
वांगचुक की पत्नी गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उनके पति की गिरफ्तारी गैर कानूनी है और उन्हें फौरन रिहा किया जाना चाहिए। यह याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से सीधे हैबियस कॉर्पस (गलत तरीके से कैद किए व्यक्ति को रिहा कराने की मांग) की अपील की जाती है। गीतांजलि का कहना है कि वांगचुक पर पाकिस्तान से संपर्क रखने का आरोप लगाया गया, जोकि गलत है।
लद्दाख में हिंसक प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किए गए थे वांगचुक
गौरतलब है कि लद्दाख में भड़की हिंसा के, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी, बाद वांगचुक को गत 24 सितम्बर को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस समय वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं। उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत काररवाई की गई है।
गीतांजलि ने राष्ट्रपति मुर्मु को लिखी थी चिट्ठी
गीतांजलि आंगमो ने बीते बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी तीन पेज का पत्र लिखा था। उन्होंने अपने पति की रिहाई के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। उन्होंने अपने पत्र में यह आरोप लगाया था कि उनके पति को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि वह बीते चार वर्षों से लोगों के हितों के लिए काम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सोनम वांगचुक एक भारतीय इंजीनियर, नवप्रवर्तक, और पर्यावरणविद् हैं, जो लद्दाख में अपने सामाजिक और शैक्षिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। वह स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक हैं और लद्दाख के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा सुधार और सतत विकास को लेकर काम करते रहे हैं।
