सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब- मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं?
नई दिल्ली, 16 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के दायरे में लाने की मांग कर रही याचिकाओं पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर जवाब देने को कहा है। इन याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च से शुरू होगी। इन याचिकाओं में से एक याचिका इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट के विभाजित आदेश के संबंध में दायर की गई है। यह अपील, दिल्ली हाईकोर्ट की एक याचिकाकर्ता खुशबू सैफी ने दायर की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल 11 मई को इस मुद्दे पर विभाजित फैसला दिया था। हालांकि, पीठ में शामिल दोनों न्यायाधीशों जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरि शंकर ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति दी थी क्योंकि इसमें कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गौर करने की आवश्यकता है। एक अन्य याचिका कर्नाटक हाईकोर्ट में एक व्यक्ति ने दायर की थी जिसके बाद उस पर अपनी पत्नी से कथित तौर पर दुष्कर्म करने का मुकद्दमा चलाया गया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले साल 23 मार्च को कहा था कि अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म तथा आप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर कुछ अन्य याचिकाएं भी दायर की गयी है। कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म से छूट की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है जिनका उनके पति द्वारा यौन शोषण किया जाता है।