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स्वामी रामभद्राचार्य पर बने आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया और यू ट्यूब से हटाए जाएं… हाईकोर्ट ने दिया आदेश, जानें पूरा मामला

स्वामी रामभद्राचार्य पर बने आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया और यू ट्यूब से हटाए जाएं… हाईकोर्ट ने दिया आदेश, जानें पूरा मामला

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लखनऊ, 20 सितंबर। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जगतगुरु स्वामी राम भद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ एक यू ट्यूब चैनल और अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर चलने वाले कथित आपत्तिजनक वीडियो पर संज्ञान लेते हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल और यू टयूब को नोटिस जारी किया है।

अदालत ने कहा कि इन मीडिया प्लेटफार्मों के शिकायत निस्तारण अधिकारियों को सप्ताह भर में स्वामी के खिलाफ दिखाये जा रहे वीडियो के विरुद्ध प्रत्यावेदन दिया जाए जिस पर तत्काल उक्त आपत्तिजनक वीडियो हटाने की कार्यवाही की जाए। साथ ही कोर्ट ने दिव्यांगों के लिए कार्य करने वाले स्टेट कमिश्नर को भी फेसबुक और इंस्टाग्राम चैनल चलाने वाले संपादक शशांक शेखर से स्पष्टीकरण मांगते हुए उनके खिलाफ उचित कार्यवाही करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को नियत की है। न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश शरद चंद्र श्रीवास्तव व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका में आग्रह किया गया है कि केद्र व राज्य सरकारें विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाएं और उनका सख्ती से पालने कराएं।

साथ ही यह भी कहा गया कि गोरखपुर के यू ट्यूबर संपादक शशांक शेखर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चैनल चलाते हैं। वह अपने यू ट्यूब चैनल के साथ साथ अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक वीडियो चला रहे हैं। कहने के बावजूद न तो उन्होंने वीडियो को हटाया है और न ही संबंधित इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों ने ही अपने स्तर से कार्यवाही करके उक्त वीडियो को हटाया है।

यह वीडियो “राम भद्राचार्य पर खुलासा -16 साल पहले क्या हुआ था” नाम से चलाया जा रहा है। कहा गया कि स्वामी जी बचपन से ही आंखों से दिव्यांग हैं फिर भी उनकी दिव्यांगता को लेकर अवमाननाजनक कंटेंट्स वाला वीडियो चलाया जा रहा है। इस वीडियो पर रोक लगाने की भी मांग की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में इन कंटेंट्स के खिलाफ दिव्यांगों के लिए कार्य करने वाले स्टेट कमिश्नर की ओर से कार्यवाही करने का मामला बनता है।

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