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कुम्भ मेले के आयोजन पर लगातार बढ़ता जा रहा खर्च, महाकुम्भ 2025 पर लगभग 7000 करोड़ खर्च

कुम्भ मेले के आयोजन पर लगातार बढ़ता जा रहा खर्च, महाकुम्भ 2025 पर लगभग 7000 करोड़ खर्च

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प्रयागराज, 14 जनवरी। पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ संगम नगरी की रेती पर एकता के महाकुम्भ की शुरुआत हो गई। 45 दिनों के बीच गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल यानी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए करीब 45 करोड़ लोग अस्थायी तौर पर निर्मित महाकुम्भ नगर में आएंगे। इस नगर को बसाने और संगम में स्नान करने आने वाले 45 करोड़ लोगों के लिए सड़क, बिजली, पुल, बाजार, चिकित्सा आदि तमाम तरह ही सुविधाओं को जुटाने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार करीब 7000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

1882 में कुम्भ का आयोजन 20,288 रुपये की लागत से हुआ था

संगम नगरी में कुम्भ मेला आयोजित करने के लिए अब तक खर्च की जा रही यह सबसे बड़ी धनराशि है। प्रयागराज के क्षेत्रीय अभिलेखागार में रखे दस्तावेज को पढ़ने से इस सच्चाई का खुलासा होता हैं। यह भी पता चलता है कि आज से 142 वर्ष पहले वर्ष 1882 में कुम्भ का आयोजन महज 20,288 रुपये की लागत से हुआ था।

प्रयगराज के क्षेत्रीय कार्यालय में मौजूद अभिलेखागार के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1882 के महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर लगभग आठ लाख लोगों ने स्नान किया था। जबकि इस बार पौष पूर्णिमा के दिन संगम में करीब 1.65 करोड़ से अधिक लोगों के स्नान करने का दावा किया गया।

योगी सरकार ने 2019 में महाकुम्भ के आयोजन पर खर्च किए थे 4,236 करोड़

दस्तावेज में यह भी लिखा हुआ है कि वर्ष 1894 में कुम्भ मेले के आयोजन पर 69,427 रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद 1906 में हुए कुम्भ मेल के आयोजन पर 90,000 रुपये खर्च बैठा था। वर्ष 1918 के कुम्भ में 1.37 लाख रुपए खर्च हुए वर्ष 2001 में कुम्भ मेले के आयोजन में करीब 200 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

अखिलेश यादव की सपा सरकार में हुए कुम्भ मेले में सरकार ने 1,300 करोड़ रुपए खर्च किए थे। वर्ष 2019 में हुए अर्धकुम्भ के जिसे योगी सरकार ने महाकुम्भ कहा, आयोजन में 4,236 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। अब महाकुम्भ के आयोजन में सात हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

महात्मा गांधी ने संगम में किया था स्नान

प्रयागराज अभिलेखागार के आंकड़ों के अनुसार महात्मा गांधी भी प्रयागराज में वर्ष 1918 को हुए कुम्भ मेले के दौरान संगम में स्नान करने आए थे। तब उन्होंने न सिर्फ संगम में डुबकी लगाई बल्कि तमाम संतों और कुम्भ में आए श्रद्धालुओं से भी वह मिले थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के भी प्रयागराज कुंभ मेले में शामिल होने के आंकड़े अभिलेखागार में उपलब्ध हैं।

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