भाजपा नेता ने 66 नामधारी सिखों की शहादत को किया याद, कांग्रेस पर भी निशाना साधा
नई दिल्ली, 18 जनवरी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी के बड़े सिख चेहरों में से एक सरदार आरपी सिंह ने 66 नामधारी सिखों की शहादत को किया याद किया। साथ ही आरपी सिंह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। आरपी सिंह ने कहा कि नामधारी सिखों ने देश के लिए तब शहादत दी थी जब कांग्रेस की स्थापना भी नहीं हुई थी।
सरदार आरपी सिंह ने ट्वीट किया कि तोपों से उड़ाए गए 66 नामधारी सिखों के वीरतापूर्ण बलिदान को याद करते हुए। कम ही लोग जानते हैं कि 1885 में अंग्रेजों द्वारा कांग्रेस की स्थापना से 13 साल पहले 17 जनवरी 1872 को नामधारियों ने अपने संस्थापक सतगुरु राम सिंह के नेतृत्व में देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए थे।
एतिहासिक शहर मालेरकोटला की धरती पर देश की स्वतंत्रता के लिए नामधारी सिखों द्वारा चलाए गए कूका आंदोलन के तहत 66 नामधारी सिख शहीद हो गए थे। नामधारी सिखों की कुर्बानियों को जंग-ए-आजादी के एतिहासिक पन्नों में कूका लहर के नाम से अंकित किया गया है।
संत गुरु राम सिंह ने 12 अप्रैल 1857 को श्री भैणी साहिब जिला लुधियाना से जब अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध आवाज उठाई थी, तब भारतवासी गुलामी के साथ-साथ अधर्मी, कुकर्मी व सामाजिक कुरीतियों के शिकार थे। इन परिस्थितियों में संत गुरु राम सिंह ने लोगों में स्वाभिमान जागृत किया और साथ ही भक्ति व वीर रस पैदा करने, देशप्रेम, आपसी भाईचारा, सहनशीलता व मिल बांट कर खाने के लिए प्रेरित किया।
नामधारी सिखों को खत्म करने के लिए मालेरकोटला के परेड ग्राउंड में ब्रिटशों ने देसी रियासतों से नौ तोपें मंगवाकर लगाईं सात तोपें सात बार चलीं, जिसमें 49 नामधारी सिखों को मार दिया गया। इस जत्थे में एक 12 वर्षीय बच्चा बिशन सिंह भी शरीक था, जिसका सिपाहियों ने सिर धड़ से अलग कर दिया था। 18 जनवरी 1872 को 16 अन्य सिखों को तोपों से उड़ाकर शहीद कर दिया गया।
इस तरह मालेरकोटला कांड में 10 सिख लड़ते हुए, 4 काले पानी की सजा काटते हुए, 66 सिखों को तोपों तथा एक सिख को तलवार से शहीद कर इन नामधारी सिखों को शहीद कर दिया गया। अंग्रेजों ने सतगुरु राम सिंह को गिरफ्तार कर लिया। नामधारी सिखों की शहादत रंग लाई और 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ।