बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने EC से मांगा विवरण, पूछा – ‘किन 3.66 लाख वोटरों के नाम काटे गए?’
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर। बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) पर गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को तय की है। इस बीच याचिकाकर्ता नई दलीलों के साथ अपने हलफनामे दाखिल करेंगे, जिन पर निर्वाचन आयोग जवाब देगा। शीर्ष अदालत ने साथ ही ने चुनाव आयोग से उन 3.66 लाख वोटों की भी जानकारी देने को कहा है, जिनके नाम फाइनल वोटर लिस्ट में काटे गए हैं।
सिंघवी बोले – लाखों वोटरों के नाम काटे गए, लेकिन उन्हें सूचना नहीं दी गई
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, लेकिन उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। सिंघवी ने आरोप लगाया कि 3.66 लाख से अधिक लोगों के नाम बिना नोटिस हटाए गए, किसी को कारण नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि अपील का प्रावधान तो है, लेकिन जब लोगों को जानकारी ही नहीं है तो अपील का सवाल ही नहीं उठता।
अब तक 47 लाख नाम हटाए जा चुके हैं – प्रशांत भूषण
वहीं, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि अब तक 47 लाख नाम हटाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि 2003 और 2016 के आयोग के निर्देश बताते हैं कि फर्जी मतदाताओं को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, लेकिन इस बार पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है। भूषण ने कहा कि 65 लाख मतदाताओं की जानकारी अदालत के आदेश के बाद ही दी गई जबकि आयोग को यह डेटा वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए था।
ईसी के वकील का जवाब – जिनके नाम हटाए गए, उन्हें सूचना दी गई
निर्वाचन आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने न्यायालय को बताया कि जिन लोगों के नाम हटाए गए, उन्हें सूचना दी गई थी और ड्राफ्ट तथा फाइनल सूची दोनों राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गई हैं। अदालत ने सवाल किया कि 3.70 लाख नामों में से कितनों से शिकायतें मिलीं, और उन पर क्या काररवाई हुई। इस पर आयोग की ओर से कहा गया कि कोई औपचारिक शिकायत नहीं आई है।
हम किसके लिए ऐसा कर रहे, लोग आगे क्यों नहीं आ रहे –जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यदि कोई यह सूची दे सके कि किन लोगों को आदेश की जानकारी नहीं मिली, तो अदालत उन्हें सूचित करने का निर्देश दे सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपील का अधिकार है और यदि लोग आगे आते हैं तो अदालत उनकी बात सुनेगी। सवाल यह है कि हम किसके लिए ऐसा कर रहे हैं, लोग आगे क्यों नहीं आ रहे हैं।
चुनाव आयोग से गुरुवार तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया
कोर्ट ने आयोग से कहा कि ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट के डेटा की तुलना कर रिपोर्ट गुरुवार तक दाखिल की जाए। प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग बटन दबाकर यह डेटा तुरंत दे सकता है, लेकिन पारदर्शिता की कमी के कारण ऐसा नहीं किया जा रहा। अदालत ने कहा कि यह पूरी कवायद चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए की जानी चाहिए।
