भारत-चीन के रिश्तों में सुधार के संकेत – पीएम मोदी के दौरे से पहले दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट की तैयारी
नई दिल्ली, 12 अगस्त। भारत और चीन के रिश्तों पर पड़ी बर्फ के पिघलने के सकारात्मक संकेत दिखने लगे हैं। इस क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित चीन दौरे से पहले 2020 के गलवान संघर्ष और कोविड-19 महामारी के बाद से बंद पड़ी सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने की दिशा में दोनों देश तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने एअर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइंस को अक्टूबर से शुरू होने वाले विंटर सीजन तक चीन के लिए उड़ानें तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स की औपचारिक घोषणा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त व एक सितम्बर को आयोजित इस समिट में भाग लेने के लिए चीन जा रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार ने अब तक पीएम मोदी की यात्रा की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। यह दौरा सीमा वार्ता और SCO विदेश मंत्रियों की बैठक के परिणामों पर निर्भर करेगा।
गलवान घाटी में सैन्य झड़पों के बाद निलंबित कर दी गई थीं सीधी उड़ानें
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी और दोनों देशों के बीच सीमा तनाव, विशेष रूप से गलवान घाटी में सैन्य झड़पों के बाद निलंबित कर दी गई थीं। तब से दोनों देशों के बीच यात्रा केवल सिंगापुर, बैंकॉक, दुबई या हांगकांग सरीखे तीसरे देशों के माध्यम से सीमित मार्गों या चार्टर्ड उड़ानों के जरिए हो रही थी। यह कदम दोनों देशों के बीच पर्यटन, व्यापार और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है।
द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का संकेत
समझा जाता है कि अमेरिका द्वारा भारत और चीन पर लगाए गए टैरिफ के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं और मजबूत हुई हैं। विश्लेषकों का कहना है कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए चीन के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है, जो वैश्विक भूराजनीति में एक नया समीकरण बना सकता है। सीधी उड़ानों की बहाली को भारत और चीन के बीच तनाव कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी, जिसके बाद भारत ने 59 चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध सहित कई कदम उठाए थे। हालांकि, हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत में प्रगति देखी गई है, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और जलविज्ञान डेटा साझा करने जैसे मुद्दों पर सहयोग शामिल है।
एयरलाइंस की स्थिति और चुनौतियां
देखा जाए तो 2019 में भारत और चीन के बीच उड़ानें लगभग पूरी क्षमता के साथ संचालित हो रही थीं। उस समय चीनी एयरलाइंस में चाइना सदर्न और चाइना ईस्टर्न ने बाजार में बड़ा हिस्सा हासिल किया था जबकि भारतीय विमानन कम्पनियों में एअर इंडिया और इंडिगो भी इस मार्ग पर सक्रिय थीं। इंडिगो ने 2019 में दिल्ली-चेंगदू और कोलकाता-ग्वांगझोउ मार्गों पर अपनी सेवाएं शुरू की थीं।
हालांकि, उड़ानों की बहाली से पहले कुछ चुनौतियों को हल करना होगा। उद्योग सूत्रों के अनुसार भारत और चीन के बीच बातचीत में हवाई किराए के नियमन, स्लॉट आवंटन और ग्राउंड हैंडलिंग कॉन्ट्रैक्ट जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। भारत अपनी एयरलाइंस को मांग के आधार पर किराए निर्धारित करने की अधिक स्वतंत्रता देने की मांग कर रहा है जबकि चीन की लो-कॉस्ट एयरलाइंस के भारतीय बाजार में प्रवेश की संभावना भी चर्चा में है।
