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टोक्यो पैरालंपिक : अंतिम दिन शटलर कृष्णा ने भी दिलाया स्वर्ण, सुहास को रजत

टोक्यो पैरालंपिक : अंतिम दिन शटलर कृष्णा ने भी दिलाया स्वर्ण, सुहास को रजत

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टोक्यो, 5 सितम्बर। भारतीय पैरा एथलीटों ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों के अंतिम दिन रविवार को भी पदक बटोरो अभियान जारी रखा। इस क्रम में शटलर कृष्णा नागर ने जहां स्वर्ण पदक जीता, वहीं सुहास एल. यथिराज रजत पदक जीतने में सफल रहे।

कृष्णा को फाइनल में तीन गेमों तक संघर्ष करना पड़ा

बीडब्ल्यूएफ विश्व रैंकिंग में दूसरे क्रम के खिलाड़ी 22 वर्षीय कृष्णा ने पुरुष एकल एसएच6 फाइनल में हांगकांग के चू मान काई को 21-17, 16-21, 21-17 से मात देकर स्वर्णिम सफलता हासिल की। इस खिताबी जीत के साथ ही नागर ने चू मान काई के खिलाफ अपना रिकॉर्ड 3-1 कर लिया है।

योयोगी नेशनल स्टेडियम में 43 मिनट तक खिंची इस कश्मकश के पहले गेम में 12-16 से पिछड़ने के बाद कृष्णा ने उसे 14 मिनट में जीता। लेकिन कृष्णा की लय गड़बड़ हो गई और चू मान ने शुरुआत से ही बढ़त लेते हुए 14 मिनट में दूसरा गेम लेकर स्कोर बराबर कर दिया।

तीसरे एवं निर्णायक गेम में कृष्णा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्कोर 7-2 कर दिया। गेम अंतराल के समय उनके पास 11-7 की बढ़त थी। चू मान काई ने इसके बाद कुछ बेहतरीन अंक बटोर कर स्कोर को 14-14 से बराबर कर दिया। फिलहाल कृष्णा ने शानदार खेल दिखाते हुए 15 मिनट में तीसरा गेम जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।

इसके पूर्व विश्व नंबर तीन सुहास एल. यथिराज को एसएल4 वर्ग के फाइनल में विश्व नंबर एक फ्रांसीसी लुकास मजूर के खिलाफ जबर्दस्त संघर्ष के बाद 15-21, 21-17, 21-15 से मात खानी पड़ी। 63 मिनट तक खिंचे इस मुकाबले के तीनों गेमों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला।

गौतम बुद्धनगर के जिलाधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे सुहास ने पहला गेम 8-11 पिछड़ने के बाद 20 मिनट में जीता। दूसरे गेम में एक समय वह 11-8 से आगे थे, लेकिन यहां से वापसी करते हुए लुकास ने 22 मिनट में गेम जीत लिया। तीसरे गेम में ब्रेक के समय सुहास 11-10 से आगे थे, लेकिन इसके बाद वह लय खो बैठे और उन्हें रजत से संतोष करना पड़ा।

तरुण के अलावा प्रमोद-पलक की जोड़ी कांस्य पदक के मैच में हारी

इसी वर्ग में तरुण ढिल्लों को कांस्य पदक मैच में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान ने 32 मिनट में 21-17, 21-11 से मात दी। इसके बाद मिश्रित युगल एसएल3-एसयू5 वर्ग में प्रमोद भगत व पलक कोहली को भी कांस्य पदक के प्ले-ऑफ मैच में एकिको सुगिनो व डाईसुक फुजिहारा की जापानी जोड़ी के हाथों दो सीधे,लेकिन कड़े गेमों में 21-23,19-21 से पराजय सहनी पड़ी।

ज्ञातव्य है कि एसएल वर्ग में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, जिन्हें खड़े होने में दिक्कत हो या निचले पैर का विकार हो जबकि एसयू में ऊपरी हिस्से के विकार वाले एथलीट खेलते हैं। वहीं एसएच वर्ग में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की लंबाई सामान्य से बहुत कम होती है।

बैंडमिंटन में भारत के नाम 2 स्वर्ण सहित 4 पदक

कृष्णा इसके साथ ही बैडमिंटन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के दूसरे शटलर बन गए। शनिवार को प्रमोद भगत ने SL3 वर्ग का खिताब जीता था। कुल मिलाकर मौजूदा संस्करण के बैडमिंटन मुकाबलों में भारत दो स्वर्ण सहित चार पदक जीते। कृष्णा के पहले एसएल4 वर्ग में सुहास ने रजत जीता जबकि शनिवार को मनोज सरकार ने एसएल3 वर्ग में कांस्य पदक जीता था।

भारत के पदकों की संख्या 19 तक पहुंची

टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारत के पदकों की संख्या 19 तक जा पहुंची। इनमें पांच स्वर्ण, आठ रजत व छह कांस्य पदक शामिल हैं। कृष्णा व प्रमोद भगत के पहले मनीष नरवाल (50 मीटर पिस्टल SH1), अवनि लखेरा (10m एयर राइफल SH1) और सुमित अंतिल (भाला प्रक्षेप F64) स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। पैरालंपिक के इतिहास में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। रियो पैरालंपिक (2016) में भारत ने दो स्वर्ण सहित चार पदक जीते थे।

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