भारतीय दवा कम्पनी पर गंभीर आरोप – आई ड्रॉप डालने से चली गई आंखों की रोशनी, एक की मौत
वॉशिंगटन, 3 फरवरी। अमेरिका में एक भारतीय दवा कम्पनी पर आरोप लगा है कि उसकी आई ड्रॉप इस्तेमाल करने से कई लोगों के आंखों की रोशनी चली गई जबकि एक की मौत हो गई। इसके बाद चेन्नई स्थित कम्पनी ने दवा का प्रोडक्शन बंद कर दिया है।
अमेरिका ने ऐसी घटनाओं के बाद एजरीकेयर आर्टिफिशियल टियर्स आई ड्रॉप को इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। साथ ही यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर द्वारा बनाई गई एजरीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स आई ड्रॉप्स की बंद बोतलों का परीक्षण कर रहा है।
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) का कहना कि वह इन आई ड्रॉप के इम्पोर्ट पर बैन लगाने की ओर बढ़ रहा है। एजेंसी ने कहा, ‘एफडीए लोगों और डॉक्टरों को संभावित बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण एजरीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स आई ड्रॉप्स का तुरंत इस्तेमाल बंद करने के लिए चेतावनी दे रहा है। इस आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने से आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिसकी वजह से आंखों की रोशनी जा सकती है और मौत तक हो सकती है।’
वहीं, आई ड्रॉप को लेकर सूत्रों ने बताया है कि सीडीएससीओ और तमिलनाडु ड्रग कंट्रोलर की टीमें चेन्नई के पास स्थित मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पर जा रही हैं। यह एक कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है, जो दूसरों के जरिए अमेरिकी बाजार में सप्लाई करता है। यह दवा भारत में नहीं बिकती है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कम्पनी संभावित बैक्ट्रीरियल इन्फेक्शन की वजह से एजरीकेयर, एलएलसी और डेलसम फार्मा की आर्टिफिशियल टीयर्स लुब्रिकेंट आई ड्रॉप्स को वापस ले रही है। सीबीएस न्यूज ने बताया कि देशभर के डॉक्टरों को स्यूडोमोनास एरुगिनोसा के एक प्रकोप के प्रति अलर्ट कर दिया गया है। इसकी वजह से एक दर्जन राज्यों में कम-से-कम 55 लोग प्रभावित हुए हैं और एक की जान चली गई है।
सीडीसी के एक प्रवक्ता ने नेटवर्क के हवाले से कहा, अब तक 11 में से कम-से-कम पांच मरीज जिनकी आंखों में सीधे संक्रमण हुआ है, उनकी रोशनी चली गई है। इनसाइडर डॉट कॉम ने बताया कि स्यूडोमोनास एरुगिनोसा रक्त, फेफड़ों या घावों में संक्रमण का कारण बन सकता है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भारतीय कम्पनी की खांसी की दवा पीने से दर्जनों बच्चों की मौत का दावा किया गया था, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अलर्ट जारी किया था।