कूनो नेशनल पार्क में चार दिनों के भीतर दूसरे नर चीते की मौत, जंगल में मृत पाया गया
श्योपुर (मध्य प्रदेश), 14 जुलाई। भारत में चीतों को बसाने की परियोजना फिर तगड़ा झटका लगा, जब शुक्रवार को कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में चार दिनों के भीतर दूसरे नर चीते की मौत हो गई। दक्षिण अफ्रीका से लाया गया चीता ‘सूरज’ जंगल में मृत पाया गया। इसे गत 25 जून को ही बड़े बाड़े से जंगल में छोड़ा गया था।
गत मार्च से अब तक कूनो में 3 शावकों सहित 8 चीतों की हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि बीते मंगलवार (11 जुलाई) को ही नर चीता ‘तेजस’ की मौत हो गई थी। इसके साथ ही मार्च से अब तक कूनो नेशनल पार्क में कुल आठ चीतों की मौत हो चुकी है। इसमें नामीबियाई चीता ‘ज्वाला’ से पैदा हुए तीन शावक भी शामिल हैं।
हर बार कूनो प्रबंधन पर लगते रहे हैं लापरवाही के आरोप
कूनो अभयारण्य के अधिकारियों का कहना है कि सूरज की मौत की वजहों का अभी पता नहीं चल सका है। डॉक्टरों की एक टीम जांच में जुटी है। मृत चीते की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्पष्ट होगा कि उसकी मौत किन वजहों से हुई। फिलहाल कूनो में लगातार हो रही चीतों की मौत के बारे में वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। हर बार प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं, जिसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इसी हफ्ते नर चीते ‘तेजस‘ की भी मौत हुई थी
इसी हफ्ते की शुरुआत में नर चीते ‘तेजस’ की मौत के बारे में एक वन अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार वह आंतरिक रूप से कमजोर हो गया था। वह मादा चीता के साथ हिंसक लड़ाई के बाद उबर नहीं पाया। उसे इसी साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था। फिलहाल यहां अब तक आठ चीतों की मौतों के बाद उऩ्हें संभालने के तौर तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों ने चीतों की देखभाल में अधिक अनुभवी पशु चिकित्सकों और अधिकारियों की मदद लेने का सुझाव दिया है।
देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के पूर्व डीन एवं वरिष्ठ प्रोफेसर वाईवी झाला का कहना है कि इस परियोजना में चीतों की मौत की आशंका थी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि सभी मौतें सुरक्षित बाड़े में हुई हैं। आशंका यह जताई गई थी कि सुरक्षित बाड़े से निकलने के बाद चीतों की जान पर जोखिम पैदा हो सकता है। बीते दिनों हुई चीता तेजस की मौत आपसी लड़ाई का नतीजा थी। मादा चीता ने उस पर हमला किया और उसे मार डाला। चौंकाने वाली बात यह है कि मादा चीता अभी शिकार करना सीख रही है। यह ऐसी घटना थी, जिसके बारे में सारे अनुमान फेल हो गए।