सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय का निधन, मुंबई के कोकिला बेन हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस
मुंबई/ लखनऊ, 14 नवम्बर। सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत रॉय का मंगलवार देर रात यहां कोकिला बेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (केडीएएच) में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 75 वर्षीय रॉय काफी समय से बीमार चल रहे थे।
बुधवार को लखनऊ के सहारा शहर में दी जाएगी अंतिम श्रद्धांजलि
कैंसर ग्रस्त सहारा प्रमुख की इसी वर्ष जनवरी में ब्रेन सर्जरी भी हुई थी। उनके निधन की सूचना से पूरे सहारा परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।
‘सहाराश्री‘ के नाम से भी लोकप्रिय थे देश के प्रमुख व्यवसायी सुब्रत रॉय
भारत के प्रमुख व्यवसायियों में एक सुब्रत रॉय अलग-अलग व्यावसायिक हितों वाले समूह सहारा इंडिया के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष थे। वह ‘सहाराश्री’ के नाम से भी जाने जाते थे। उन्होंने 1978 में सहारा इंडिया परिवार की गोरखपुर में स्थापना की थी। उनके निधन पर समाजवादी पार्टी समेत दूसरे राजनीतिक दलों ने शोक जताया है।
सहारा इंडिया की तरफ से बताया गया कि सहाराश्री एक प्रेरणादायक नेता और दूरदर्शी शख्सियत थे। मेटास्टैटिक स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से पैदा हुई समस्याओं के साथ एक लंबी लड़ाई के बाद कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण 14 नवम्बर,2023 को रात 10.30 बजे उनका निधन हो गया। सहाराश्री को स्वास्थ्य में गिरावट के बाद 12 नवम्बर को कोकिलाबेन अस्पताल और मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (केडीएएच) में भर्ती कराया गया था।
अररिया में जन्म, कोलकाता और गोरखपुर में शिक्षा
बिहार के अररिया जिले में 10 जून, 1948 को सुधीर चंद्र रॉय/छवि रॉय के घर जन्मे सुब्रत रॉय का मूल निवास पश्चिम बंगाल था। बचपन में उनका पढ़ने में कुछ खास मन नहीं लगता था। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई और फिर वह गोरखपुर पहुंच गए, जहां उन्होंने राजकीय तकनीकी संस्थान गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। सुब्रत रॉय की उनकी पत्नी स्वप्ना से मुलाकात कोलकाता में एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी।
दो कुर्सी व एक स्कूटर के साथ दो लाख करोड़ रुपये तक का सफर
सुब्रत रॉय ने वर्ष 1978 में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचने का काम शुरू किया। अंततः एक कमरे में दो कुर्सी और एक स्कूटर के साथ उन्होंने दो लाख करोड़ रुपये तक का सफर तय कर किया। सन् 2004 में टाइम पत्रिका ने सहारा समूह को भारतीय रेल के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बताया था। वे आईपीएल में भाग ले चुकी पुणे वॉरियर्स इंडिया, ग्रॉसवेनर हाउस, एमबी वैली सिटी, प्लाजा होटल, ड्रीम डाउनटाउन होटल के मालिक थे।
इस तरह शुरू की सहारा इंडिया कम्पनी
रॉय ने 1978 में दोस्त के साथ मिलकर गोरखपुर में सहारा इंडिया नामक चिट फंड कम्पनी की स्थापना की, जिसके वे प्रबंध कार्यकर्ता (प्रबंध निदेशक) और चेयरमैन थे। उन्होंने पैरा बैंकिंग की शुरूआत की। गरीब और मध्यम वर्ग को टारगेट किया। मात्र 100 रुपये कमाने वाले लोग भी उनके पास 20 रुपये जमा कराते थे। देश की गलियों-गलियों तक उनकी ये स्कीम मशहूर हो गई। लाखों की संख्या में लोग सहारा के साथ जुड़ते चले गए।
अंततः सहारा इंडिया भारत की एक बहु-व्यापारिक कम्पनी में तब्दील हुई, जिसके कार्य वित्तीय सेवाओं, गृहनिर्माण वित्त (हाउसिंग फाइनेंस), म्युचुअल फंडों, जीवन बीमा, नगर-विकास, रीयल-इस्टेट, अखबार एवं टेलीविजन, फिल्म-निर्माण, खेल, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, पर्यटन, उपभोक्ता सामग्री सहित अनेकों क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
जेल भी जाना पडा, निवेशकों का काफी पैसा अब भी फंसा है
हालांकि वर्ष 1980 में सरकार ने सहारा की पैरा बैंकिंग स्कीम पर रोक लगा दी थी, लेकिन तब तक काफी लोगों ने इसमें निवेश कर दिया था। सभी निवेशकों के पैसे बाद में फंस गए। सुब्रत राय पर बहुत सारे आरोप लगे। उन्हें जेल जाना पड़ा। निवेशकों का पैसा अब भी सहारा समूह ने दबा रखा है। सरकार धीरे-धीरे निवेशकों के पैसे दिला रही है।
जमानत पर चल रहे थे सुब्रत रॉय
पटना हाई कोर्ट में सहारा इंडिया के खिलाफ लोगों के पैसों का कई सालों से भुगतान नहीं करने का एक मामला चल रहा है। लोगों ने ये पैसे कम्पनी की कई स्कीमों में लगाए थे। इस केस में पटना हाई कोर्ट के गिरफ्तारी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। साथ ही उनके खिलाफ आगे किसी तरह की काररवाई को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
सुब्रत रॉय के खिलाफ इसी तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहले से चल रहा है। वह जमानत पर बाहर थे। वहीं, निवेशकों के पैसे लौटाने को लेकर सहारा इंडिया का दावा है कि वह सारी रकम सेबी के पास जमा करा चुका है।