खुदरा महंगाई दर लगातार दूसरे माह 4 फीसदी से कम, अगस्त में 3.65 प्रतिशत पर
नई दिल्ली, 12 सितम्बर। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित भारत की खुदरा महंगाई दर लगातार दूसरे माह चार फीसदी से नीचे दर्ज की गई है। अगस्त महीने में खुदरा महंगाई थोड़ी हालांकि बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई है। जुलाई, 2024 में यह 3.6 फीसदी थी जबकि बीते वर्ष अगस्त में यह 6.83 फीसदी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने ये आंकड़े आज जारी किए हैं।
इस प्रकार देखा जाए तो अगस्त माह के महंगाई के आंकड़े अब भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के चार फीसदी के लक्ष्य के दायरे में है। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
दरअसल, अगस्त में खुदरा कीमतों में 6.8% की वृद्धि के बेस इफेक्ट ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में मदद की। अगस्त में खाने-पीने की चीजों की महंगाई जुलाई में दर्ज 5.42% से बढ़कर 5.66% हो गई। यह जून 2023 में 4.55% के बाद से सबसे कम है। जून में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 9.36%, मई में 8.69% और अप्रैल में 8.70% हो गई थी।
फूड इन्फ्लेशन अब भी नरम बनी हुई है, लेकिन कुछ सब्जियों में तेजी के संकेत मिले हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में जारी क्रिसिल थाली इंडेक्स ने प्याज और आलू की कीमतों में तेजी का संकेत दिया। क्रिसिल ने कहा, ‘रबी की कम आवक के कारण प्याज और आलू की खुदरा कीमतों में 15 रुपये प्रति किलोग्राम और 13 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी ने शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थालियों की लागत में गिरावट को सीमित कर दिया।’
अगस्त के दौरान, अनाज, मांस, मछली, दूध उत्पाद, दालें, चीनी और कन्फेक्शनरी की कीमतों में पिछले माह के मुकाबले गिरावट आई जबकि अंडे, फल और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि हुई। इस दौरान कपड़ों की कीमतों में पिछले महीने के मुकाबले गिरावट आई जबकि जूतों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।
राज्यों की बात करें तो तेलंगाना (2.02%), उत्तराखंड (2.37%) और दिल्ली (2.52%) में अगस्त के दौरान सबसे कम खुदरा मुद्रास्फीति दर्ज की गई। हालांकि, असम, बिहार, हरियाणा, केरल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में औसत से अधिक मुद्रास्फीति देखी गई। इसका मतलब है कि कई राज्यों में खुदरा मुद्रास्फीति अब भी काफी अधिक है।
RBI ने चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के 4.4 फीसदी पर स्थिर रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, लगातार दो महीनों तक चार फीसदी से कम का आंकड़ा निचले स्तर को दिखाता है। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी पर स्थिर रहने की संभावना है। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति सितम्बर 2023 से 6% के निशान से नीचे है। यानी यह लगातार 13वां माह है, जब खुदरा महंगाई केंद्रीय बैंक की 2-6% की टॉलरेंस रेंज के नीचे बनी हुई है।