नई दिल्ली, 4 जून। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौजूदा ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही रेपो रेट भी चार फीसदी पर बरकरार रखा गया है जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर कायम रखा गया है। आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में ये निर्णय लिए गए।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति का रुख लचीला बनाए रखेगा। इसके तहत रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को अपरिवर्तित बनाए रखने का फैसला किया गया है।
गौरतलब है कि आरबीआई के रेपो रेट घटाने पर लोन सस्ता हो जाता है। इसके उलट रेपो रेट बढ़ने पर लोन महंगा हो जाता है। आरबीआई हर दो महीने पर रेपो रेट की समीक्षा करता है। रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं। आम तौर पर बैंकों के लोन की दर रेपो रेट पर निर्भर करती है। रेपो रेट में बदलाव का फैसला एमपीसी के सदस्य करते हैं। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों को आरबीआई के पास जमा अपने पैसे पर ब्याज मिलता है।
अब 9.5 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान
शक्तिकांत दास ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अनुमान को पहले के 10.50 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। समझा जाता है कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना की दूसरी लहर के असर को देखते हुए आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मानूसून सामान्य रहने पर आर्थिक वृद्धि को थोड़ा गति मिल सकती है।
इसी क्रम में आरबीआई की एमपीसी ने 31 मार्च, 2026 तक मुद्रास्फीति की सालाना दर के लिए चार फीसदी का लक्ष्य तय किया है। इसके इस स्तर से दो फीसदी बढ़ने या दो फीसदी घटने की गुंजाइश शामिल होगी।