इतालवी अखबार से बोले राहुल गांधी – भारत में ‘फासीवाद आ चुका है, लोकतांत्रिक ढांचा ढह चुका है, संसद निष्प्रभावी हो चुकी है’
नई दिल्ली, 21 फरवरी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि भारत में फासीवाद आ चुका है, लोकतांत्रिक ढांचा ढह चुका है और संसद अब काम नहीं कर पा रही है। उन्होंने इटली के अखबार कोरिरे डेला सेरा (Corriere della Sera) को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कही हैं।
राहुल गांधी ने इंटरव्यू में कहा कि वह इस पर दो साल से संसद में बोल नहीं पा रहे हैं और जब बोलना शुरू करते हैं, तो उनके माइक्रोफोन को बंद कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्षी पार्टियां एक साथ आती हैं तो भाजपा जरूर हार जाएगी। राहुल गांधी का यह इंटरव्यू इटली के अखबार की वेबसाइट पर गत एक फरवरी को प्रकाशित हुआ था।
फासीवाद, नरेंद्र मोदी पर क्या बोले राहुल गांधी?
भारत और फासीवाद के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, ‘भारत में फासीवाद आ चुका है। लोकतांत्रिक ढांचा ढह चुका है। संसद निष्प्रभावी हो चुकी है। मैं दो साल से बोल नहीं पाया हूं। मैं जैसे ही बोलता हूं, मेरा माइक बंद कर देते हैं। सत्ता का संतुलन बिगड़ चुका है। न्यायापालिका आजाद नहीं है। सम्पूर्ण केंद्रवाद है। मीडिया अब आजाद नहीं है।’
‘अन्य पार्टिया साथ आएं तो भाजपा 100 फीसदी हार जाएगी‘
इस सवाल पर कि क्या अगले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराया जा सकता है, कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर अन्य पार्टियां एक साथ आती हैं तो भारतीय जनता पार्टी 100 प्रतिशत हार जाएगी। राहुल ने कहा, ‘यह निश्चित है कि उन्हें (पीएम मोदी) हराया जा सकता है। बशर्ते आप एक दृष्टि का विरोध करें : दाएं या बाएं से नहीं, बल्कि यह शांति और एकता के लिए हो। विकल्प देकर फासीवाद को हराया जाता है। अगर भारत के दो विजन वोट में एक-दूसरे से भिड़ते हैं, तो हम जीतने में सक्षम होंगे।’
इंटरव्यू में राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान अपने अनुभव पर भी खुलकर बात की। साथ ही अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी के साथ जुड़ी यादों को भी ताजा किया। राहुल गांधी ने यह भी बताया कि वह 52 साल की उम्र में भी अविवाहित क्यों हैं?
‘भारत जोड़ो यात्रा एक तपस्या की तरह था‘
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा, “सभी की सीमाएं हैं, जिनमें मैं भी शामिल हूं…हम जो सोचते हैं, उससे ये बहुत आगे हैं। दुनिया की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत में एक शब्द है ‘तपस्या’, जिसे समझना एक पश्चिमी दिमाग के लिए मुश्किल है। कोई इसका अनुवाद ‘बलिदान’, ‘धैर्य’ करता है, लेकिन अर्थ अलग है – एक तरह से गर्मी उत्पन्न करना। ये मार्च एक ऐसी क्रिया रही, जो गर्मजोशी पैदा करती थी, इसने आपको अपने भीतर झांकने पर मजबूर किया, आपको भारतीयों के असाधारण लचीलेपन को समझने का मौका मिलता है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच ध्रुवीकरण मौजूद है, राहुल गांधी ने इसे स्वीकार किया। लेकिन साथ ही जोर देकर कहा कि स्थिति उतनी भयानक नहीं थी, जैसा मीडिया ने सरकार के संरक्षण में दर्शाया। राहुल ने कहा, ‘यह लोगों को गरीबी, अशिक्षा, महंगाई और कोविड के बाद किसानों सहित छोटे कर्जदार उद्यमियों के संकट जैसे अधिक वास्तविक मुद्दों से विचलित करने के लिए एक जरिया है।’
‘नहीं जानता कि आखिर क्यों 52 साल की उम्र में भी अविवाहित हूं‘
राहुल गांधी ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से जुड़ी यादों को भी ताजा किया और कहा कि उन दोनों को अहसास था कि उनकी हत्या की जाएगी। राहुल ने इन दावों को भी खारिज किया कि वह अपनी जिंदगी को लेकर खतरा महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह डरने की बात नहीं है। मुझे जो करना है मैं करता हूं।’ उन्होंने यह भी कहा कि वह बच्चे चाहते हैं, लेकिन साथ ही कहा कि वह नहीं जानते कि आखिर क्यों वह 52 साल की उम्र में भी अविवाहित हैं।