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जयशंकर ने याद किया 40 साल पुराना वाकया – ‘दोबारा पीएम बनते ही इंदिरा ने मेरे पिता को हटाया, राजीव ने सस्पेंड किया’

जयशंकर ने याद किया 40 साल पुराना वाकया – ‘दोबारा पीएम बनते ही इंदिरा ने मेरे पिता को हटाया, राजीव ने सस्पेंड किया’

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नई दिल्ली, 21 फरवरी। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मंगलवार को एक इंटरव्यू के दौरान चीन समेत कई मामलों पर खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने लगभग 40 वर्ष पहले अपने पिता के साथ हुई नाइंसाफी पर भी बात की। उन्होंने कहा कि उनके पिता डॉ. के. सुब्रमण्यम कैबिनेट सेक्रेटरी थे, लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में लौटने पर उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद राजीव गांधी ने सत्ता संभाली तो उनके पिता को सस्पेंड कर दिया गया।

डॉ. जयशंकर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अपने पिता को पद से हटाने, उनकी जगह जूनियर अधिकारी को पद पर नियुक्त करने से लेकर विदेश सेवा से लेकर राजनीति तक के अपने सफर पर बात करते हुए कहा कि वह हमेशा से बेहतरीन फॉरेन सर्विस अधिकारी बनना चाहते थे।

जयशंकर ने कहा, ‘मैं हमेशा से बेहतरीन फॉरेन सर्विस ऑफिसर बनना चाहता था। मेरी नजरों में विदेश सचिव बनना उस सर्वश्रेष्ठता को हासिल करने की परिभाषा थी। मेरे पिता एक नौकरशाह थे, जो कैबिनेट सेक्रेटरी बन गए थे। लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया। वह उस समय 1979 में जनता सरकार में सबसे युवा सेक्रेटरी थे।’

मेरे पिता सिद्धांतों पर चलने वाले शख्स थे और शायद समस्या यही थी

विदेश मंत्री ने कहा, ‘मेरे पिता कैबिनेट सेक्रेटरी थे, लेकिन 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनकर सत्ता में आईं, तो सबसे पहले मेरे पिता को पद से हटा दिया गया। मेरे पिता सिद्धांतों पर चलने वाले शख्स थे और शायद समस्या यही थी। उसके बाद वह कभी सेक्रेटरी नहीं बने। उनके बाद राजीव गांधी के कार्यकाल में मेरे पिता से जूनियर अधिकारी को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया गया। यह बात उन्हें बहुत खलती रही। लेकिन उन्होंने शायद कभी ही इसके बारे में बात की हो। जब मेरे बड़े भाई सेक्रेटरी बने तो उनका सीना गर्व से फूल गया था।’ गौरतलब है कि जयशंकर ब्यूरोक्रेट्स परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव पद पर रहे। वर्ष 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। उससे पहले 2011 में ही जयशंकर के पिता का निधन हो गया था। उनके पिता डॉ. के. सुब्रमण्यम देश के जाने-माने कूटनीतिज्ञ थे। उन्हें भारत के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन का शिल्पकार भी माना जाता रहा है।

कांग्रेस पर पलटवार – ‘मैं चीन का नाम लेता हूं..देखिए, मैं चीन का नाम ले रहा हूं

इंटरव्यू में जब एस. जयशंकर से पूछा गया कि कांग्रेस आरोप लगाती है कि आप और पीएम मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं, इस पर जयशंकर ने कहा, ‘C H I N A, मैं चीन का नाम ले रहा हूं। अगर हम डरते हैं तो एलएसी पर भारतीय सेना को किसने भेजा। राहुल गांधी ने उन्हें नहीं भेजा बल्कि नरेंद्र मोदी ने भेजा है। चीन सीमा पर आज तक के इतिहास की सबसे बड़ी सेना की तैनाती की गई है। मैं चीन का नाम लेता हूं। देखिए, मैं चीन का नाम ले रहा हूं।’

विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, “उन्हें  ‘C’ से शुरू होने वाले शब्दों को समझने में थोड़ी दिक्कत हो रही होगी। यह सच नहीं है। मुझे लगता है कि वे जान बूझकर स्थिति को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।” दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर चीन को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। राहुल का कहना है कि सरकार चीन का नाम लेने से डरती है।

उनके पास चीन को लेकर ज्यादा जानकारी है तो उनसे भी सीखने को तैयार हूं

जयशंकर ने कहा, ‘मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और सीमा विवाद मामलों को डील करता रहा। मैं यह नहीं कहूंगा कि मुझे इसके बारे में अधिक जानकारी है, लेकिन इतना कहूंगा कि मुझे चीन मामले पर काफी कुछ पता है। अगर उनके (राहुल गांधी) पास चीन को लेकर अधिक जानकारी और ज्ञान है तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।’

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