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वाराणसी में 12 वर्षों बाद लगेगा पुष्कर मेला, पूरे शहर को 4 जोन में बांटा गया, 400 से ज्यादा कर्मचारियों की लगी ड्यूटी

वाराणसी में 12 वर्षों बाद लगेगा पुष्कर मेला, पूरे शहर को 4 जोन में बांटा गया, 400 से ज्यादा कर्मचारियों की लगी ड्यूटी

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वाराणसी, 20 अप्रैल। धर्मिक नगरी वाराणसी में 12 वर्षों बाद 22 अप्रैल से पुष्कर मेला लगने वाला है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद वाराणसी में पहले ही हर रोज लाखों की भीड़ पहुंच रही है, अब 3 मई तक आयोजित पुष्कर मेले के दौरान भीड़ कहीं ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है। देश के अलग-अलग राज्यों से लोग पूजा-अर्चना के लिए आएंगे। खास बात तो यह है कि भीड़ मंदिरों में पूजन करने के साथ ही काशी के गंगा घाटों पर डेरा जमाएगी। इसे देखते हुए सुरक्षा समेत लोगों की सुविधाओं के लिए अन्य प्रबंध भी किए जा रहे हैं।

दरअसल, वाराणसी में गंगा पुष्कर मेले का आयोजन भाजपा सरकार के लिए बड़ा आयोजन माना जा रहा है। यही वजह है कि पूरे मेले की निगरानी राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव कर रहे हैं। मेले की शुरुआत 22 अप्रैल से होने जा रही है, लेकिन उसके पहले 21 अप्रैल को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए यहां आने वाली भीड़ को एकजुट करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए विशेष तौर पर गंगा घाटों पर व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। सबसे ज्यादा भीड़ वाराणसी के मणिकर्णिका घाट, केदार घाट, ललिता घाट और केदारखंड में पड़ने वाले अन्य घाटों पर होने वाली है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से सर्वाधिक सैलानियों के आने की उम्मीद

नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि आयोजन में सबसे ज्यादा सैलानियों के आने की उम्मीद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलग-अलग हिस्सों से है। यहां पर रहने वाले तेलुगु भाषी लोगों की तरफ से इस पूरे आयोजन की रूपरेखा प्रशासन के साथ मिलकर तैयार की गई है। पुष्कर मेले को लेकर पूरे शहर को 4 जोन में बांटा गया है। सुरक्षा, साफ-सफाई आदि के लिए लगभग 400 से ज्यादा कर्मचारियों को लगाया गया है। अलग-अलग गंगा घाटों पर 24 से ज्यादा हेल्पडेस्क बनाई जा रही है ताकि किसी तरह की कोई परेशानी होने पर लोग यहां सीधे संपर्क कर सकें।

एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की भी तैनाती

लगभग एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की जा रही है आयोजन समिति से जुड़े लोगों ने लगभग एक लाख की भीड़ प्रतिदिन आने का अनुमान जताया है। इसे दृष्टिगत रखते हुए अलग-अलग भाषाओं में साइन बोर्ड बनवाए जा रहे हैं। गंगा घाटों पर कहां पर गहराई ज्यादा है और कहां डूबने की ज्यादा संभावना है, इसे लेकर भी लोगों को जागरूक करने का काम किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अपने वाहनों से आने वाले लोगों को पार्किंग की सुविधा उपलब्ध हो सके, इसके लिए शहर के अलग-अलग हिस्सों में पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है।

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