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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री से भेंट की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री से भेंट की

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लाओ, 11अक्टूबर।    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वियनतियाने में लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री श्री सोनेक्साय सिपानदोन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने 21वें आसियान-भारत और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी के लिए लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री को बधाई दी।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-लाओस के प्राचीन और समकालीन संबंधों को और मजबूत बनाने पर सार्थक वार्तालाप किया। उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों जैसे विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आपदा प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, विरासत को सजोने, आर्थिक संबंध, रक्षा सहयोग और लोगों से लोगों के बीच संबंधों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री सिपानदोन ने टाइफून यागी के बाद लाओ पीडीआर को प्रदान की गई भारत की बाढ़ राहत सहायता के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा भारतीय सहायता के माध्यम से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, वाट फ्रा किउ में जारी जीर्णोद्धार और संरक्षण द्विपक्षीय संबंधों को एक विशेष आयाम प्रदान करता है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री सिपानदोन ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका की पुष्टि की। भारत ने 2024 के लिए आसियान की अध्यक्षता के लिए लाओ पीडीआर का मजबूती से समर्थन किया है।

वार्ता के बाद, दोनों नेताओं की उपस्थिति में रक्षा, प्रसारण, सीमा शुल्क सहयोग और मेकांग-गंगा सहयोग के तहत तीन त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (क्यूआईपी) के क्षेत्र में समझौता ज्ञापनों/समझौते का आदान-प्रदान किया गया। क्यूआईपी लाओ रामायण की विरासत के संरक्षण, रामायण से संबंधित भित्ति चित्रों के साथ वाट फ्रा किउ बौद्ध मंदिर के जीर्णोद्धार और चंपासक प्रांत में रामायण पर छाया कठपुतली थिएटर को समर्थन देने से संबंधित हैं।

तीनों क्यूआईपी में से प्रत्येक को लगभग 50000 अमेरिकी डॉलर की भारत सरकार की अनुदान सहायता प्राप्त है। भारत लाओ पीडीआर में पोषण सुरक्षा में सुधार के लिए लगभग एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता भी प्रदान करेगा। भारत, संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष के माध्यम से प्रदान की जा रही यह सहायता, दक्षिण-पूर्व एशिया में कोष की पहली ऐसी परियोजना होगी।

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