
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू, सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिनों बाद केंद्र का फैसला
नई दिल्ली, 13 फरवरी। केंद्र सरकार ने पिछले लगभग दो वर्षों से जातीय हिंसा में घिरे पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति द्रौददी मुर्मु ने मंजूरी दे दी। इसी क्रम में राज्य विधानसभा को भी निलंबित कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते अपनी ही पार्टी भाजपा के विधायकों के बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने गत नौ फरवरी को पद से इस्तीफा दे दिया और फिर चार दिनों के विचार मंथन के बाद केंद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला किया।
राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना जारी, विधानसभा भी निलंबित
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करते हुए गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मानना है कि ‘ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें इस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती। अब, संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, मैं घोषणा करती हूं कि मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर राज्य सरकार के सभी कार्यों और इस राज्य के राज्यपाल द्वारा निहित या प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियों को अपने अधीन करती हूं।‘ अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
राजभवन में राज्यपाल से पात्रा की मुलाकात
इससे पहले संबित पात्रा के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी। वहीं राज्यपाल भल्ला और अर्धसैनिक बल के अधिकारियों ने आज ही राजभवन में बैठक की थी। इस दौरान अधिकारियों ने उन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती और परिचालन गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
बयान में कहा गया कि मणिपुर और नगालैंड सेक्टर के निवर्तमान महानिरीक्षक (सीआरपीएफ) डॉ. विपुल कुमार और नवनियुक्त महानिरीक्षक राजेंद्र नारायण दाश ने राज्यपाल से मुलाकात की। इसमें कहा गया, ‘अधिकारियों ने राज्यपाल को क्षेत्र में सीआरपीएफ की तैनाती और परिचालन गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
इन परिस्थितियों में लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन
- यदि चुनाव के बाद किसी पार्टी को बहुमत न मिला हो।
- जिस पार्टी को बहुमत मिला हो, वह सरकार बनाने से इनकार कर दे और राज्यपाल को दूसरा कोई ऐसा दल नहीं मिले, जो सरकार बनाने की स्थिति में हो।
- राज्य सरकार विधानसभा में हार के बाद इस्तीफा दे दे और दूसरे दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हो।
- राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के संवैधानिक निर्देशों का पालन न किया हो।
- कोई राज्य सरकार जान-बूझकर आंतरिक अशांति को बढ़ावा या जन्म दे रही हो।
- राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायित्यों का निर्वाह नहीं कर रही हो।