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जम्मू-कश्मीर : डल झील में शिकारे से बांटी जाएगी डाक और पार्सल, रविवार को योजना का होगा अनावरण

जम्मू-कश्मीर : डल झील में शिकारे से बांटी जाएगी डाक और पार्सल, रविवार को योजना का होगा अनावरण

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जम्मू, 8 अक्टूबर। कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील में लंदन आई की तरह हवील लगाने की खबरों से ही सिर्फ यह सुर्खियों में नहीं है बल्कि इसमें शिकारों के माध्यम से पार्सल और डाक बांटे जाने की योजना से भी यह चर्चा में है। इसका शुभारंभ रविवार, नौ अक्टूबर को किया जाएगा जबकि डल झील में एक तैरता हुआ पोस्ट आफिस सदियों से कार्यरत है।

यह देश में अपनी तरह की पहली शिकारा डाक और पार्सल सेवा होगी, जो रविवार को शुरू होने जा रही है। डल झील के निवासियों द्वारा परम्परागत रूप से इस्तेमाल की जाने वाले नौका को, जिसमें वे सैलानियों को भी सैर कराते हैं, शिकारा कहा जाता है।

डल झील में स्थित हाउसबोट में ठहरने वाले पर्यटक और स्थानीय लोगों को कश्मीर से बाहर किसी सामान को भेजने के लिए अब झील से बाहर आने की जरूरत नहीं रहेगी। शिकारा चलाते हुए डाकिया खुद उनके पास पहुंचेगा और उनका पार्सल लेकर उसे उसके गंतव्य तक पहुंचाने का प्रबंध करेगा।

शिकारा डाक एवं पार्सल सेवा को जम्मू-कश्मीर परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल नीरज कुमार जनता को समर्पित करेंगे। डाक विभाग श्रीनगर के प्रवक्ता ने बताया कि शिकारा डाक एवं पार्सल सेवा डल झील में स्थित व्यापारियों, हाउसबोट मालिकों और डल झील में हाउसबोट में ठहरने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए शुरू की जा रही है।

रुझान बढ़ने पर शिकारों व डाकियों की संख्या बढ़ाई जाएगी

उन्होंने बताया कि शुरु में एक ही शिकारा इस काम में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद अगर इस सेवा को लेकर लोगों का रुझान बढ़ता है तो और ज्यादा शिकारों और डाकियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले भी झील मे हमारी एक शिकारा सेवा है, लेकिन वह सिर्फ पत्र और पार्सल बांटने तक सीमित है, पहली बार पत्र और पार्सल प्राप्त करने के लिए शिकारा सेवा शुरू की जा रही है।

दो सदी पुराना तैरता हुआ डाक घर ब्रिटिश काल में शुरू हुआ था

आपने तैरते हुए बगीचों और हाउसबोट्स के बारे में तो सुना होगा, लेकिन कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील में एक तैरता हुआ पोस्ट आफिस भी है, जो आपको हैरान कर देगा। यह पूरी दुनिया में एकमात्र तैरता हुआ डाक घर है।

दो सदी पुराना तैरता हुआ डाक घर ब्रिटिश काल में शुरू हुआ था, लेकिन अब भी यहां के लोगों के बीच इसकी पहचान कायम है। लोग अब भी इसके जरिए चिट्ठियां भेजते हैं और इस डाक घर से चिट्ठियां पहुंचाने का काम डाकिया ही करता है।

डल झील पर तैरते हुए इस डाकघर में वो सभी सेवाएं उपलब्ध हैं, जो एक डाक घर में होती हैं। वहीं इसकी पहचान यह है कि यहां चिट्ठियों के लिफाफे पर शिकारे और नाव चालक वाली एक विशेष मुहर का इस्तेमाल किया जाता है।

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