1. Home
  2. हिन्दी
  3. राजनीति
  4. संसद ने आपराधिक कानूनों के स्थान पर लाए गए तीनों विधेयकों को मंजूरी दी
संसद ने आपराधिक कानूनों के स्थान पर लाए गए तीनों विधेयकों को मंजूरी दी

संसद ने आपराधिक कानूनों के स्थान पर लाए गए तीनों विधेयकों को मंजूरी दी

0
Social Share

नई दिल्ली, 21 दिसम्बर। संसद ने औपिनवेशिक काल से चले आ रहे तीन आपराधिक कानूनों के स्थान पर सरकार द्वारा लाए गए विधेयकों को गुरुवार को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने चर्चा और गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के बाद भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को ध्वनमित से अपनी स्वीकृति दी।

लोकसभा इसे बुधवार को ही पारित कर चुकी है। ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर लाये गए हैं।

अमित शाह ने कहा कि तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद भारत के आपराधिक न्याय प्रक्रिया में एक नयी शुरुआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य पूर्ववर्ती कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है।

शाह ने कहा, ‘इस नए कानून को ध्यान से पढ़ने पर पता चलेगा कि इसमें न्याय के भारतीय दर्शन को स्थान दिया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय को बरकरार रखने की गारंटी दी है। संविधान की यह गारंटी 140 करोड़ के देश को यह तीनों विधेयक देते हैं।’

‘इन कानूनों की आत्मा भी भारतीय है, सोच भी भारतीय है

उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों की आत्मा भारतीय है। पहली बार भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद से बनाए गए कानून से हमारी आपराधिक न्याय प्रक्रिया चलेगी। इसका मुझे बहुत गौरव है। इन कानूनों की आत्मा भी भारतीय है, सोच भी भारतीय है और ये पूरी तरह से भारतीय हैं।’

अमित शाह ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम… इन तीनों कानूनों को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘इनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा करना था। इसमें कहीं भारत के नागरिक की सुरक्षा, उसके सम्मान और मानव अधिकार की सुरक्षा नहीं थी।’

यह विश्व की सबसे आधुनिक और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली होगी

उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद देश में ‘तारीख पर तारीख’ का दौर चला जाएगा और तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल जाए, ऐसी प्रणाली देश में स्थापित होगी। यह विश्व की सबसे आधुनिक और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली होगी।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code