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हिमाचल प्रदेश : अब शिमला आईआईएएस में भूस्खलन का खतरा, सुरक्षा को लेकर बढ़ीं चिंताएं

हिमाचल प्रदेश : अब शिमला आईआईएएस में भूस्खलन का खतरा, सुरक्षा को लेकर बढ़ीं चिंताएं

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शिमला, 20 अगस्त। प्रलंयकारी बारिश से उपजी आवदा झेल रहे हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वायसरीगल लॉज के बाहरी प्रांगण में भूस्खलन ने 149 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक इमारत की भी सुरक्षा के बारे में चिंता खड़ी कर दी है। यहीं पर भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) है। यहां समर हिल में 14 अगस्त को हुए भूस्खलन से देवदार के बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए और एक शिव मंदिर ढह गया, जिसमें 17 लोगों की मौत हो गयी।

ऐसा प्रतीत होता है कि यह भूस्खलन आईआईएएस के विस्तारित प्रांगण की परिधि से शुरू हुआ। शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने बताया कि आईआईएएस परिसर के कुछ हिस्से में दरारें आ गई हैं और एहतियाती कदम उठाए गए हैं….। उन्होंने कहा, ‘आईआईएएस में भूस्खलन की आशंका है, जिससे जान और माल का नुकसान हो सकता है। हमने राज्य के भूविज्ञानी को पत्र लिखकर आईआईएएस का निरीक्षण करने तथा इस संबंध में तत्काल एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।’

कभी वायसरॉय लॉर्ड डफरिन का निवास स्थान हुआ करता था

ऑब्जर्वेटरी हिल में स्थित वायसरीगल लॉज पहाड़ी को काटकर बनाया गया था और इसका मलबा ढलानों पर फेंक दिया गया, जो वक्त के साथ ठोस बन गया है। मुख्य इमारत 1880 के दशक की शुरुआत में बनायी गयी और यह 1884-1888 में वायसरॉय लॉर्ड डफरिन का निवास स्थान रहा।

राष्ट्रपति गर्मियों के दौरान यहां आकर रहा करते थे

यह इमारत अच्छी स्थिति में है। यह भीषण भूस्खलन मलबे के कारण हुआ, जो रिसाव से दरकने लगा है। आजादी के बाद इस लॉज को ‘राष्ट्रपति भवन’’ का नाम दिया गया क्योंकि भारत के राष्ट्रपति गर्मियों के दौरान यहां आते थे और रहा करते थे।

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