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एनआईए द्वारा जब्त दस्तावेजों व पूछताछ में खुलासा – पीएफआई के निशाने पर थी पीएम मोदी की पटना रैली

एनआईए द्वारा जब्त दस्तावेजों व पूछताछ में खुलासा – पीएफआई के निशाने पर थी पीएम मोदी की पटना रैली

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कोच्चि, 24 सितम्बर। राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए0 ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली थी। केरल से संगठन के गिरफ्तार सदस्य शफीक पैठ से पूछताछ में यह खुलासा हुआ है।

शफीक ने एजेंसी को बताया कि लीडर रैली के दौरान माहौल बिगाड़ना चाहते थे और इसके लिए बाकयदा बैनर-पोस्टर भी बनाए गए थे। गौरतलब है कि गत 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना में रैली थी। शफीक के मुताबिक रैली का माहौल खराब करने वाले लोगों को पीएफआई ने ट्रेनिंग भी दी थी।

समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया

एनआईए ने यह भी दावा किया कि पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्रियां मिली हैं। दस्तावेजों के मुताबिक एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया है।

कोच्चि में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया।

पीएफआई ने हिंसक जिहादज के बीच भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची

एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले के संबंध में 10 आरोपितों की हिरासत की मांग करते हुए 22 सितम्बर को अदालत में रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची। पीएफआई ‘लोगों के एक वर्ग के समक्ष सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने और सत्ता तथा उसके अंगों के खिलाफ घृणा का भाव उत्पन्न करने का काम करता है।’

केंद्रीय एजेंसी ने कहा, ‘जांच में सामने आया है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपित संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे। वे समाज के अन्य धार्मिक वर्गों और आमजन के बीच दहशत पैदा करने का काम करते थे।’ एनआईए ने 22 सितंबर को 11 राज्यों में छापेमारी कर पीएफआई के 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।

एनआईए की रिपोर्ट के अनुसार छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में ऐसी सामग्रियां पाई गईं है, जिनसे पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था। इस ‘हिट लिस्ट’ से मालूम होता है कि पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था।

एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था। रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, अल कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया। इसमें कहा गया है कि इस्लामी चरमपंथी संगठन ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची। एजेंसी ने कहा कि आरोपितों और पीएफआई के कार्यालयों से जब्त उपकरणों का तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक में विश्लेषण किए जाने की जरूरत है।

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