नई दिल्ली, 6 दिसम्बर। उच्चतम न्यायालय मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परम बीर सिंह की याचिका पर अगली सुनवाई सोमवार को करेगा। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी (परम बीर सिंह की) उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे आपराधिक आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश देने की गुहार शीर्ष न्यायालय से लगाई है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान परम बीर सिंह को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके अलावा सीबीआई जांच की मांग संबंधी उनकी गुहार पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था। अवैध वसूली समेत कई आपराधिक मामलों के आरोपी पूर्व पुलिस आयुक्त की याचिका का जबाव महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय मे दाखिल किया है।
राज्य के गृह विभाग के संयुक्त सचिव ने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि सीबीआई से जांच की मांग जायज नहीं है। हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता को होमगार्ड के डी. जी. पद पर स्थानांतरण किया गया था। उसके तीन दिन बाद 20 मार्च को उन्होंने आरोपों का खुलासा किया था, जबकि भ्रष्टाचार का कथित मामला कुछ महीने पहले का बताया गया है। सरकार का कहना है कि व्हिसर ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2014 के तहत याचिकाकर्ता सिंह को व्हिसर ब्लोअर नहीं माना जा सकता।
राज्य सरकार का कहना है कि परम बीर सिंह को उनकी सेवा में कथित लापरवाही के कारण अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील नियम) 1969 के तहत उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की मंजूरी राज्य सरकार ने दी हुई है। सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि अवैध वसूली समेत कई आरोपों का सामना कर रहे परम बीर सिंह की याचिका बॉम्बे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता सिंह ने भी तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भी 100 करोड़ रुपये हर माह अवैध वसूली कर मांगने का आरोप लगाया था।
उच्चतम न्यायालय ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए ‘आरोप’ चिंताजनक हैं। परम बीर सिंह ने अपनी गिरफ्तारी से राहत के साथ-साथ शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी कि वह पूरे मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करवाने के संबंध में सरकार को आदेश दे।
देशमुख पर गंभीर आरोप लगाने के बाद लगातार विवादों एवं एक होटल व्यवसाई से अवैध उगाही समेत कोई आरोपों से घिरे आईपीएस सिंह कई महीनों से लापता थे। उनके विदेश भागने की भी अटकलें लगाई जा रही थी। महाराष्ट्र पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश में जुटी थी। इस बीच गिरफ्तारी से रोक संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद वह मुंबई पुलिस की जांच में पिछले दिनों शामिल हुए थे।