नई दिल्ली, 10 दिसम्बर। जलवायु परिवर्तन पर लोकसभा में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी के रमेश बिधूड़ी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संकट को सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही पहचाना था और गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उन्होंने विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक कदम उठाए। रमेश बिधूड़ी ने कई कदम गिनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री मोदी सामाजिक विकास की योजनाओं के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जुटे हुए हैं।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचन्द्रन ने कहा कि 1992 में रियोडिजनेरियो के सम्मेलन से लेकर 2021 के ग्लास्गो सम्मेलन तक विकसित देश किसी भी संकल्प को पूरा करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्लास्गो सम्मेलन के संकल्प भी पूरे होने के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
श्री प्रेमचन्द्रन ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन करने वाले बड़े देशों ने बड़ी चालाकी से विकसित और विकासशील देशों के अंतर को धूमिल करने की कोशिश की है और बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नाम से बड़े विकासशील देशों को भी घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इस तरह से बड़े देशों ने उत्सर्जन के हिसाब से जिम्मेदारी की बात को कमजोर कर दिया है। अनुमान है कि इससे वैश्विक तापमान तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ने से रोकना संभव नहीं होगा।
उन्होंने भारत सरकार द्वारा ग्लास्गो सम्मेलन में अपनाये गये रुख की सराहना की और कहा कि किसी भी नीति का निर्णय का आधार एवं उद्देश्य जलवायु न्याय होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को कोयला आयात नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। अमीर देशों को उनकी जिम्मेदारियों को लेकर गरीब देशों के पीछे छिपने का मौका नहीं देना चाहिए।